अभी हाल ही में ही सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को लेकर फैसला सुनाया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है और केंद्र सरकार व राष्ट्रपति से विनती की है कि वह मराठा आरक्षण लागू करा सकते हैं, उनके पास ताकत है। जिस प्रकार आपने अपनी ताकत का इस्तेमाल 370 को हटाने में किया ठीक उसी प्रकार आप मराठा आरक्षण को लागू करने में भी उस ताकत का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दुर्भाग्यपूर्ण दिया करार
आपको बता दें मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। महाराष्ट्र सरकार की मांग थी कि नौकरी व शिक्षा के क्षेत्र में मराठों को भी आरक्षण दिया जाए। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने यह मामला केंद्र सरकार के पाले में फेंक दिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है और केंद्र सरकार व राष्ट्रपति से विनती की है कि वह मराठा आरक्षण लागू करा सकते हैं, उनके पास ताकत है। जिस प्रकार आपने अपनी ताकत का इस्तेमाल 370 को हटाने में किया ठीक उसी प्रकार आप मराठा आरक्षण को लागू करने में भी उस ताकत का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बंबई हाईकोर्ट ने भी आरक्षण को दे दी थी मंजूरी
अपने भाषण में उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र को 19 मिनट तक संबोधित किया है। इन दौरान उन्होंने कोरोना महामारी को लेकर चर्चा की लेकिन संबोधन के ठीक पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा व्यक्त की। आपको बताते चलें कि जिस समय मराठा आरक्षण की बात चली थी तो ज्यादातर पार्टियां उस वक़्त इसके पक्ष थी और बंबई हाईकोर्ट ने भी आरक्षण को मंजूरी दे दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार के हाथ कुछ नहीं लगा। ठाकरे ने कहा, हमने काफी कोशिश की, अच्छे वकील भी किए, लेकिन यह बहुत निराशाजनक है कि हम हार गए।
यह लड़ाई खत्म नहीं हुई है- उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में आगे कहा “यह लड़ाई खत्म नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने खुद अपने आदेश में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को खारिज करते हुए आगे का रास्ता दिखाया है। मैं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को एक औपचारिक पत्र लिखूंगा और अगर जरूरत पड़ी तो मिलने भी जाऊंगा। मैं न केवल वकीलों से सलाह ले रहा हूं बल्कि यह पता लगाने के लिए कि हम और और क्या कर सकते हैं। इसपर भी विचार विमर्श कर रहा हूँ।”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 5 मई को मराठा आरक्षण पर फैसला सुनाया और इसे असंवैधानिक करार दिया। महाराष्ट्र सरकार की मांग थी कि नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में मराठाओ को आरक्षण मिले, लेकिन अब फैसले के बाद किसी भी मराठा को जाति के आधार पर नौकरी प्रदान नहीं की जाएगी।