Wednesday, April 2, 2025
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प्राकृतिक खेती से सफलता की कहानी: गमनभाई ने पौधों से कमाए लाखों

गुजरात के दाहोद जिले के संजेली तालुका स्थित वासिया गांव के किसान गमनभाई वसावा ने प्राकृतिक खेती को अपनाकर सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ है। 2010 से प्राकृतिक खेती कर रहे गमनभाई पहले एक शिक्षक थे, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्होंने खेती को अपनाया। उनकी मेहनत और अनूठी कृषि विधियों के कारण उन्हें बेस्ट आत्मा फार्मर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।

चंदन, आम और औषधीय पौधों की खेती:

गमनभाई ने अपने खेत में चंदन, आम, सब्जियां और औषधीय पौधे उगाए हैं। उनके खेत में 1000 से अधिक सफेद चंदन के पेड़, एक लाल चंदन, 300 आम के पेड़, 150 नीम, 100 सागौन, और पाइन, शंकुद्रुम जैसे पेड़ मौजूद हैं।

इसके अलावा, वे सर्पगंधा, अश्वगंधा, करियातु, लक्ष्मणफल, अर्जुन, रामफल, पानफूटी, शतावरी, अजवाइन, सारिवा, कपूर, ब्राह्मी, दहीमन, नगोड, खैर, पारिजात, मधुनाशिनी, जामुन, तज, अशोक, लहसुनवेल, दो पत्ती लता, गज पीपर, रुद्राक्ष जैसी कई औषधीय वनस्पतियां उगाते हैं।

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मियाजाकी आम और सब्जियों की खेती:

गमनभाई ने जापानी मियाजाकी आम भी उगाए हैं, जो अपनी उच्च गुणवत्ता और महंगे दामों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन आमों की कीमत 2 लाख रुपये प्रति किलो तक होती है। इसके अलावा, वे ज्वार, बाजरा, सफेद बैंगन, टमाटर, टिंडोरा, परवल, गोंदा, भिंडी, गाजर, चीकू, ड्रैगन फ्रूट, काली हल्दी और जंगली अदरक जैसी कई सब्जियां भी उगाते हैं।

सौर ऊर्जा से सिंचाई और प्राकृतिक खेती:

गमनभाई वसावा ने सोलर सिस्टम से ड्रिप सिंचाई का उपयोग करके पानी की बचत और सतत खेती को बढ़ावा दिया है। वे बिजली और पानी की जरूरतों के लिए सौर ऊर्जा का ही उपयोग करते हैं। उनके पास 4 गायें और 3 बछड़े भी हैं, जिससे उन्हें जैविक खाद और शुद्ध दूध प्राप्त होता है।

चंदन की खेती से 16 लाख की कमाई:

गमनभाई ने दो साल पहले 15 सफेद चंदन के पेड़ बेचकर 16 लाख रुपये की कमाई की थी। उनका कहना है कि सफेद चंदन का बाजार मूल्य 450 रुपये प्रति किलो से अधिक है। उन्होंने अन्य किसानों को भी बंजर जमीन और खेतों के किनारों पर चंदन लगाने की सलाह दी है, ताकि वे भविष्य में आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें।

प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह:

गमनभाई का मानना है कि प्राकृतिक खेती में मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। उन्होंने बताया कि रासायनिक खेती और प्राकृतिक खेती में बड़ा अंतर है। प्राकृतिक खेती से न केवल फसल की गुणवत्ता अच्छी होती है, बल्कि यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी लाभदायक होती है।

निष्कर्ष:

गमनभाई वसावा की यह सफलता की कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणादायक है जो परंपरागत खेती से हटकर प्राकृतिक और लाभकारी खेती करना चाहते हैं। उनका यह मॉडल न केवल आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य लाभ को भी बढ़ावा देता है। यदि सही दृष्टिकोण और मेहनत हो, तो प्राकृतिक खेती से भी लाखों की कमाई संभव है।

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