कब और क्यों हुई थी इस्लामिक आतंकवाद की शुरुआत? क्या पूरे विश्व पर शरीयत कानून लागू करना है इनका उद्देश्य?
Table of Contents (विषय सूची):
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क्या है इस्लामिक आतंकवाद?
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इस्लामिक आतंकवाद के 5 सबसे बड़े हमले
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इस्लामिक क्रांति 1979 और इसका असर
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ईरान और आतंकवाद के बीच संबंध
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क्या शरीयत ही है इनका अंतिम लक्ष्य?
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क्या आतंकवाद इस्लाम का प्रतिनिधित्व करता है?
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भारत की रणनीति: ऑपरेशन सिंदूर
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समाधान क्या है? विश्व को क्या करना होगा?
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22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो हुआ, उसने एक बार फिर इस्लामिक आतंकवाद के जघन्य चेहरे को उजागर कर दिया। पर्यटकों से धर्म पूछकर उनकी हत्या कर दी गई।
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आतंकियों को मुँहतोड़ जवाब दिया, लेकिन इससे बड़ा सवाल यह उठता है — आखिर ये इस्लामिक आतंकवादी चाहते क्या हैं? क्या वाकई इनका मकसद है पूरी दुनिया पर शरीयत कानून लागू करना?
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क्या है इस्लामिक आतंकवाद?
इस्लामिक आतंकवाद एक ऐसी उग्र विचारधारा है, जिसे कुछ कट्टरपंथी इस्लामिक समूह हथियार और हिंसा के जरिए फैलाना चाहते हैं। ये मानते हैं कि दुनिया के अधिकांश शासन इस्लाम विरोधी हैं और केवल शरीयत कानून के जरिए ही ‘सही व्यवस्था’ कायम की जा सकती है।

इनका प्रमुख उद्देश्य होता है:
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लोकतंत्र का खात्मा
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शरीयत आधारित हुकूमत की स्थापना
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महिलाओं की स्वतंत्रता पर अंकुश
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अमेरिका और पश्चिमी देशों का विरोध
इस्लामिक आतंकवाद के 5 खौफनाक हमले, जिन्होंने दुनिया को हिला दिया
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9/11 हमला (2001, अमेरिका):
अल-कायदा द्वारा चार विमानों की मदद से वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर हमला, 3,000 से अधिक लोगों की मौत। -
26/11 मुंबई हमला (2008, भारत):
लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों द्वारा चार दिनों तक चलाया गया coordinated हमला, 160+ मौतें। -
चार्ली हेब्दो हमला (2015, फ्रांस):
पैगंबर मोहम्मद के कार्टून पर नाराज होकर पत्रकारों की निर्मम हत्या, 12 लोगों की मौत। -
ISIS का उदय (2014-2019):
इराक और सीरिया में खलीफा शासन की घोषणा, हजारों लोगों का कत्लेआम, महिलाओं को गुलाम बनाया गया। -
बोको हराम का आतंक (2009–अब तक, नाइजीरिया):
पश्चिमी शिक्षा विरोधी संगठन, हजारों की हत्या और 2014 में 276 स्कूली छात्राओं का अपहरण।
इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास और 1979 की ईरानी क्रांति का प्रभाव
Islamic आतंकवाद का बीज 1979 में ईरानी इस्लामिक क्रांति के साथ पड़ा। जब शाह मोहम्मद रजा पहलवी को अपदस्थ कर शरीयत पर आधारित शासन स्थापित हुआ,
तब कट्टरपंथियों को पहली बार यह भरोसा मिला कि “धार्मिक शासन” को हथियारों के बल पर लागू किया जा सकता है।

इसके बाद ईरान के प्रभाव में कई आतंकी गुटों को समर्थन मिला:
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हिजबुल्लाह
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हमास
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इस्लामिक जिहाद
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अल-कायदा
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तालिबान
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क्या इस्लामिक आतंकवाद वाकई इस्लाम का प्रतिनिधित्व करता है?
इस सवाल का जवाब इस्लाम की मूल शिक्षाओं में छुपा है। कुरान में किसी निर्दोष की हत्या को “समस्त मानवता की हत्या” के समान बताया गया है। इसके बावजूद कुछ गुटों ने “जिहाद” का अर्थ हिंसा से जोड़कर, इसका दुरुपयोग किया है।
ध्यान रहे: इस्लामिक आतंकवाद = इस्लाम नहीं
इस्लाम का मतलब “शांति” है, लेकिन आतंकवादी इसे “राजनीतिक हथियार” बना चुके हैं।
क्या दुनिया शरीयत शासन की ओर बढ़ रही है?
इस सवाल का जवाब जटिल है। हालांकि अधिकांश मुस्लिम देश लोकतांत्रिक हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रीय संगठन और देश (जैसे तालिबान शासित अफगानिस्तान, ईरान) धार्मिक कानूनों को सर्वोपरि मानते हैं।
शरीयत के नाम पर:
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महिलाओं की स्वतंत्रता छीनी जाती है।
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अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता है।
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विरोधियों को काफिर करार देकर मार दिया जाता है।
भारत की रणनीति और ऑपरेशन सिंदूर
भारत ने आतंक के खिलाफ हर स्तर पर कड़ा रुख अपनाया है — 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक हो या 2019 का बालाकोट एयरस्ट्राइक या 2025 का ऑपरेशन सिंदूर। सरकार, सेना और खुफिया एजेंसियां मिलकर आतंकवाद की जड़ों को खत्म करने में लगी हैं।

निष्कर्ष: क्या समाधान है?
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वैश्विक सहयोग की आवश्यकता
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इस्लाम की असली शिक्षाओं को सामने लाना
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कट्टरपंथी सोच को समाज से अलग करना
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डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आतंक के प्रचार को रोकना
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युवाओं को शिक्षा और रोजगार से जोड़ना