देश को स्वतंत्र हुए 75 वर्ष हो गए है। जहां एक तरफ सरदार वल्लभभाई पटेल (Vallabhbhai Patel),लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri), शंकर राव चव्हाण (Shankarrao Chavan), ज्ञानी जैल सिंह (Giani Zail Singh) और राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) जैसे मंत्रियों ने ग्रह मंत्रायल (Home Ministry) की शोभा बढ़ाई और देश की अखंडता, संप्रभुता को ब चाए रखा। वहीं कुछ ऐसे भी गृहमंत्री हुए जिन्होंने देश को छो ड़ कर अपना एक अलग ही एजेंडा चलाया। आज हम बात करेंगे ऐसे ही ग्रहमंत्रियों के बारे में जिन्होंने अपने पद की गरिमा को कलंकित किया। आइए आपको एक एक कर इन गृहमंत्रियों के बारे में बताते हैं।
1- यशवंतराव चव्हाण
यशवंतराव चव्हाण (Yashwantrao Chavan) दोहरे चरित्र की एक शानदार मिशाल है। यशवंतराव चव्हाण बात- बात पर अपना पक्ष बदल लेते थे। वह कभी किसी एक स्थान पर नहीं रुके ना कभी इनके विचार स्थिर रहे। यशवंतराव चव्हाण 1966-1980 तक भारत के गृह मंत्री रहे। इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की सरकार में गृहमंत्री रहे। इतने ही नहीं इंदिरा गांधी के धुर वि रोधी चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) के नेतृत्व में भी गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री दोनों ही पद संभालते थे। वर्तमान में इनके जैसे दो ही लोग दिखते हैं। एक तो अरविंद केजरीवाल और दूसरे कन्हैया कुमार।
2- शिवराज पाटिल
शिवराज पाटिल (Shivraj Patil) पीवी नरसिम्हा राव (P. V. Narasimha Rao) सरकार में लोकसभा अध्यक्ष थे। पहली बार ऐसा हो रहा था कि जब न तो देश का प्रधानमंत्री और न ही गृह मंत्री जनता द्वारा चुना गया था। इन्हे भारत के ‘नीरो’ (Nero) की उपाधि दी गई है। जैसा कि आप जानते है कि जब रोम (Rome) के स्वाहा होने पर ‘नीरो’ झुनझुना बजाता था, वैसे ही शिवराज पाटिल अपने काम से अधिक अपने वस्त्रों पर ध्यान देने के लिए प्रसिद्ध थे। इनके गृहमंत्री रहते हुए देश पर एक के बाद एक आ तंकी हम ले हुए और दिल्ली के बाटला हाउस (Batla House) का एनका उन्टर भी उपजा। जिसमें वामपं थियों ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के कार्य पर सवाल उठाया, तो इन्होंने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। हद तो तब हो गई जब आतं कियों ने मुंबई में 26/11 को अंजाम दिया। शिवराज पाटिल का ध्यान पार्टी पर ज्यादा होने के कारण उन्होंने एनएसजी (NSG) को भी सही से मुंबई जाने की आज्ञा नहीं दी।
3- मुफ्ती मो हम्मद सैयद
मुफ़्ती मोहम्मद सैयद (Mufti Mohammad Sayeed) जिन्होंने देश के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक की नींव रखी। 1989 में जब राष्ट्रीय मो र्चा की गठ बंधन सरकार बनी, तो जनता दल (Janata Dal) के समय में वह देश के प्रथम और एकमात्र मु स्लिम गृहमंत्री बने। इनके गृहमंत्री बनने के कुछ ही दिनों के बाद कश्मीर (Kashmir) में वो हुआ जिसने आने वाले दिनों में एक नए इतिहास की नींव रखी। उन दिनों भाजपा नेता टीका लाल टपलू (Tika Lal Taploo) को इस दुनिया से अलविदा करने के बाद घाटी में पहले ही त नाव था। इसी बीच गृह मंत्री बनने के कुछ ही दिन के बाद मुफ्ती मोहम्मद सैयद की बेटी, डॉक्टर रुबैया सैयद को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रं ट के लोगों ने उठा लिया। जिससे इन्होंने पांच आतं कियों को रिहा कर दिया। इसके बाद 19 जनवरी 1990 में कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ (Kashmiri Pandit Migrants) जाना पड़ा।
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4- पलानीअप्पन चिदंबरम
जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru), महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi), मो हम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah)
और चिदंबरम (Palaniappan Chidambaram) में समानता मानी जाती है। क्योंकि यह चारों ही प्रसिद्ध अधिवक्ता थे। लेकिन इन चारों के कारण भारत की छवि बहुत ही बे कार हुई है। आपको बता दें कि जिस लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित (Lieutenant Colonel Prasad Shrikant Purohit) ने समझौता ब्ला स्ट के पीछे का सच उजागर करने का प्रयास किया। उसे ही इन्होंने हिंदू आतं कवाद का प्रतीक मानकर वर्षों तक हवालात में रखा। उनके परिवार का जीवन न र्क बना दिया। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur) के साथ जो हुआ उसे व्यक्त करना भी अ संभव है। आपको बता दे कि 2019 में जब यह पकड़े गए। यह इनके अनुचित कम का हिसाब था।