मोरबी में मच्छु नदी पर बने पुल के टूटने से हुए हादसे से पूरा देश स्तब्ध रह गया है। इस हादसे में अब तक 141 लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही, लगभग 100 से भी अधिक लोग घायल हुए. एनडीआरएफ(NDRF) की टीमें, तीनों सेनाओं के जवानों के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ता भी लगातार लोगों की मदद कर रहे हैं. लापता हुए लोगों की तलाश की जा रही है.
सोशल मीडिया पर विश्व संवाद केंद्र भारत के द्वारा शेयर किए गए पोस्ट में स्पष्ट देखा जा सकता है कि मोरबी पुल हादसे के बाद सेना और पुलिस के जवानों के साथ मिलकर आरएसएस के कार्यकर्ता पीड़ितों की मदद कर रहे हैं. यंसेवक घायलों को अस्पताल पहुँचाने में प्रशासन की मदद करते दिखे. वायरल हो रही तस्वीरों में देखा जा सकता है कि आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने घटना स्थल पर डोरियों के माध्यम से एक घेरा बनाया, जिससे पीड़ितों की मदद में तेजी लाई जा सके. गौरतलब है कि रविवार को जिस वक्त मोरबी पुल टूटा उस दौरान करीब 400 से अधिक लोग पुल पर मौजूद थे और सेल्फियाँ ले रहे थे.
मोरबी हादसे में RSS के कार्यकर्ताओं ने की मदद
मोरबी के मच्छु नहीं में जिस वक्त ये हादसा हुआ उस दौरान वहाँ पर बजरंग दल के भी कार्यकर्ता मौजूद थे.संकट को भाँपते हुए बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नदी में छलांग लगा दी और करीब 170 से भी अधिक लोगों की जान बचाई.हादसे के वक्त वहाँ मौजूद बजरंग दल के कार्यकर्ता चिराग परमार ने कहा है कि पुल टूटते ही चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई थी.उन्होंने कहा है “पुल टूटने से पानी में गिरने के बाद कई लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे. यह देखने के बाद हम लोग तुरंत ही बचाव कार्य में लग गए. इस दौरान, महिलाओं और छोटे बच्चों के डूबने का दृश्य दिल दहला देने वाला था.
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42 साल पहले हुआ था ऐसा दर्दनाक हादसा
करीब 43 साल पहले 11 अगस्त 1979 को भी मोरबी में मच्छू नदी पर बना एक बाँध टूट गया था.सैकड़ों जिदंगियों ने जान गवाई थी. जिस वक्त लोगों की सड़ रही लाशों को हाथ लगाने वाला कोई सामने नहीं आया तो उस दौरान भी आरएसएस के स्वयंसेवक आगे बढ़कर आए और ठेले पर रखकर शवों को बाहर निकाला था.