कृषि कानूनों को लेकर इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। कृषि कानूनों की वापसी पर किसान नेताओं के साथ-साथ कई फिल्म अभिनेता और छोटे किसान खुश नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इस पर राजनीति भी हो रही है। तीनों कृषि कानूनों की वापसी को लेकर कई पार्टी के नेता अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से ट्वीट कर रहे हैं। कुछ नेता मीडिया में आकर तरह तरह के बयान भी दे रहे हैं। सिखों की एक बहुत ही अहम संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह (Harpreet Singh) ने एक बहुत ही अहम बयान दिया है। आइए आपको पूरी खबर विस्तार से बताते हैं।
किसानों की आ ड़ में चल रहा था खेला
जैसा कि आपको पता है कि बीते 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लोगों को जानकारी देते हुए कहा था कि तीनों कृषि कानून जल्दी ही वापस ले लिए जाएंगे। इस निर्णय के बाद सिखों की एक अहम संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि किसानों की आ ड़ में कुछ और ही खेला चल रहा था। किसानों के बीच कई ऐसे लोग भी शामिल थे जो देश की स्थिति को स्थिर रहने नहीं देना चाहते। यही वजह है कि कुछ लोग लाल किला तक पहुंच गए थे।
कुछ लोग इसे सिख वर्से ज हिंदू बनाना चाहते थे
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि दिल्ली (Delhi) की सीमा पर बैठे किसान अपनी मांग तो कर रहे थे लेकिन उनमें से बहुत सारों को अपनी मांग को लेकर जानकारी नहीं है। किसानों के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इसे भारत सरकार और सिख वर्सेस हिंदू बनाना चाहते थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी का निर्णय लेने के बाद उन लोगों के मंसू बों को नाकाम कर दिया है। अब कोई भी भारत की स्थिति को अस्थिर नहीं कर सकता।
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किसानों के बीच मौजूद है ज्यादातर सिख
जैसा कि आपको पता है कि किसानों के बीच ज्यादातर सिख समुदाय के लोग हैं। दिल्ली कि सीमाओं पर आपको पंजाब और हरियाणा के किसान ज्यादा नजर आएंगे। यही वजह है कि कुछ लोग किसान आं दोलन को सिखों का आं दोलन बता रहे थे। सीमाओं पर आपको कई ऐसे परिवार देखने को मिलेंगे जिसमें बच्चे से लेकर ब ड़ों तक शामिल है। पीएम मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों की वापसी का निर्णय लेने के बाद पंजाब के सिख समुदाय के लोग खुशियां मनाते देखे जा रहे थे।