Electoral Bonds: चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली टॉप कंपनियों की डिटेल अपलोड कर दी है।
2018 में शुरू हुई इस योजना के तहत (Electoral Bonds) अब तक 30 किस्तों में,
16,518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए गए हैं।
चुनावी बॉन्ड क्या है?
चुनावी बॉन्ड एक तरह का बैंकिंग इंस्ट्रूमेंट है,
जो राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
यह बांड (Electoral Bonds) केवल भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की कुछ शाखाओं से ही खरीदे जा सकते हैं।
कौन सी कंपनियां देती हैं सबसे ज्यादा चंदा?
चुनाव आयोग द्वारा जारी डेटा के अनुसार,
फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने 1368 करोड़ रुपये के साथ सबसे ज्यादा चंदा दिया है।
इसके बाद मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (966 करोड़ रुपये),
क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड (410 करोड़ रुपये),
हल्दिया एनर्जी लिमिटेड (377 करोड़ रुपये),
वेदांता लिमिटेड (376 करोड़ रुपये),
एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड (225 करोड़ रुपये),
वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (220 करोड़ रुपये),
भारती एयरटेल (198 करोड़ रुपये),
केवेंटर फूड पार्क इंफ्रा लिमिटेड (195 करोड़ रुपये) और
एमके एंटरप्राइजेज लिमिटेड (192 करोड़ रुपये) का नाम शामिल है।
इन कंपनियों का क्या है कारोबार?
- फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज: लॉटरी व्यवसाय
- मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड: डैम और पॉवर प्रोजेक्ट्स
- क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड: लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन
- हल्दिया एनर्जी लिमिटेड: थर्मल पॉवर प्लांट
- वेदांता लिमिटेड: माइनिंग
- एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड: लौह अयस्क खनन
- वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड: बिजली उत्पादन और वितरण
- भारती एयरटेल: दूरसंचार
- केवेंटर फूड पार्क इंफ्रा लिमिटेड: डेयरी प्रोडक्ट्स
चुनावी बॉन्ड को लेकर आलोचना
चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर कई आलोचनाएं भी हुई हैं।
आलोचकों का कहना है कि यह योजना पारदर्शी नहीं है ,
और इसका इस्तेमाल राजनीतिक दलों को धन मुहैया कराने के लिए किया जा सकता है।
Electoral Bonds निष्कर्ष
चुनावी बॉन्ड योजना भारत में राजनीतिक चंदे का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है।
यह योजना पारदर्शी है या नहीं, यह एक जटिल सवाल है।
इस योजना के पक्ष और विपक्ष दोनों हैं।
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