Fact Check : इंटरनेट के आने के बाद सूचनाओं की भरमार आ गई है। एक दिन में इतनी खबरें आ जाती है कि हम उन सभी को देख भी नहीं पाते है। इस हफ्ते कुछ खबरों ने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी है। जैसे PM मोदी की छतरी पर JIO के विज्ञापन होने का दावा, उत्तराखंड चुनाव से पहले बद्रीनाथ धाम को मुस्लिमों का धार्मिक स्थल बनाने की मांग का दावा आदि। इन तरह की कई खबरों ने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी है। आइए जानते है, इन ख़बरों के पीछे का सच।
PM Modi की छतरी पर JIO का विज्ञापन?
इस पूरे हफ्ते सोशल मीडिया पर पीएम मोदी(PM Modi) की छतरी वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई है। तस्वीर में पीएम मोदी छतरी लेकर भाषण दे रहे थे। छतरी पर Jio का लोगों दिखाई दे रहा है। लोग व्यंग्य करते हुए उन्हें Jio का ब्रांड एंबेसडर बता रहे है। वायरल हो रही इस तस्वीर की O News की एंटी फेक न्यूज़ टीम ने पड़ताल शुरू की। हमारी टीम ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर पीएम के उस भाषण के लाइव प्रसारण का वीडियो चेक किया, जिसमें वे हाथ में छाता लिए हुए हैं। इस वीडियो को देखते ही सब कुछ साफ हो गया। वायरल हो रही फ़ोटो एडिटेड है। हमारी पड़ताल में तस्वीर झूठी निकली।
उत्तराखंड चुनाव से पहले बद्रीनाथ को मुस्लिमों का धार्मिक स्थल बनाने की मांग?
आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में प्रवेश के रुझान आनेशुरु हो गए हैं. @ArvindKejriwal @AamAadmiParty @aajtak @ndtv @sakshijoshii @ReallySwara @RahulGandhi @INCIndia @pbhushan1 @ravishndtv @Shehla_Rashid @vinodkapri आप लोगो इन महाशय का सपोर्ट करे..? तभी आप लोगो की रोजी रोटी चलेगी। pic.twitter.com/QACNmYQ1Fm
— ABBE YAAR 🤫 🙏 (@ThotIndiathot) July 26, 2021
इस ख़बर ने पूरे हफ्ते सुर्खियां बटोरी है। उत्तराखंड में चुनाव से पहले एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दिखाई दे रहा शख्स दावा करता है कि Badrinath असल में इस्लाम का एक धार्मिक स्थल है। वीडियो में आगे वह आदमी पीएम मोदी से मांग करता है कि वह सामने आये और मुस्लिमों को उनका धार्मिक स्थल सौप दे। इस वीडियो को उत्तराखंड चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी की एंट्री के साथ जोड़कर शेयर किया जा रहा है। O News की एंटी फेक न्यूज़ टीम ने इसकी पड़ताल शूरू की। हमारी टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि वीडियो 4 साल पुराना है और इसका उत्तराखंड चुनाव या AAP से कोई संबंध नहीं है।
वीडियो से जुड़े कीवर्ड को हमारी टीम ने गूगल पर सर्च किया। जिसमें हमें यूट्यूब पर 16 नवंबर, 2017 को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो क्लिप इसी वीडियो का एक छोटा सा हिस्सा है। वीडियो के डिस्क्रिप्शन से पता चला कि वीडियो में दिख रहा शख्स दारुल उलूम निसवान के उपाध्यक्ष मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी हैं। हमें न्यूज चैनल INDIA TV का साल 2017 का एक बुलेटिन भी मिला। इससे साफ हो गया कि यह दावा गलत है।
इस्लामिक स्टडीज’ के जरिए IAS बन रहे कैंडिडेट?
सोशल मीडिया पर एक दावा किया जा रहा है कि UPSC की सिविल सर्विसेज परीक्षा में Islamic Studies के माध्यम से IAS बना जा सकता है, तो रामायण और गीता को भी सिलेबस में शामिल क्यों नहीं किया जाता है। हमारी टीम ने इस दावे की पड़ताल की शुरुआत की। सबसे पहले हमने केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) के मार्च 2021 में सिविल सर्विसेज (IAS) परीक्षा के लिए जारी नोटिफिकेशन को देखा। इस नोटिफिकेशन में हमने ऑप्शनल सब्जेक्ट्स की सूची को देखा। लिस्ट में इस्लामिक स्टडीज का नाम नहीं है। इससे साफ हो जाता है कि ये दावा झूठा है।