लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 के पास होते ही तेज़ी से कार्रवाई शुरू कर दी है। अब राज्य में अवैध रूप से वक्फ घोषित की गई संपत्तियों पर बुलडोज़र चलने की शुरुआत हो चुकी है। सरकार ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे ऐसी संपत्तियों को चिन्हित करें और उनकी रिपोर्ट शासन को सौंपें।
राजस्व विभाग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
राजस्व विभाग के अनुसार, यूपी में वर्तमान में केवल 2963 वक्फ संपत्तियां ही आधिकारिक रूप से दर्ज हैं, जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड की 1,24,355 और शिया वक्फ बोर्ड की 7,785 संपत्तियों का दावा किया गया है। इनमें से बड़ी संख्या में संपत्तियां सरकारी ज़मीनों जैसे खलिहान, तालाब, पोखर आदि को अवैध रूप से वक्फ घोषित कर दी गई हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, दान में प्राप्त संपत्ति को ही वक्फ माना जा सकता है, लेकिन सरकारी भूमि को किसी भी सूरत में वक्फ नहीं बनाया जा सकता। इसी आधार पर अब ऐसे सभी मामलों की समीक्षा की जा रही है।
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इन जिलों में सबसे ज्यादा अवैध वक्फ संपत्तियां
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी, सीतापुर, बरेली, जौनपुर, सहारनपुर, बिजनौर, बलरामपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, मुरादाबाद और रामपुर जैसे जिलों में वक्फ संपत्तियों की संख्या सबसे अधिक पाई गई है। इन जिलों में जिलाधिकारी स्तर पर जांच शुरू हो चुकी है।
98% वक्फ संपत्तियां बिना रिकॉर्ड के
राज्य सरकार का दावा है कि प्रदेश की लगभग 98% वक्फ संपत्तियों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है, और इनमें अधिकतर ज़मीनें ग्राम समाज की हैं। अब ऐसे मामलों में जब्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
राज्यसभा में पास हुआ वक्फ संशोधन विधेयक
वक्फ बोर्ड की पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से लाया गया वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 राज्यसभा में बहुमत से पास हो गया। विधेयक को 128 वोटों के समर्थन और 95 के विरोध के साथ मंजूरी मिली। इससे पहले लोकसभा भी इसे मंजूरी दे चुकी है।
सरकार का कहना है कि यह विधेयक गरीब, पसमांदा मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं की स्थिति सुधारने में मददगार होगा। साथ ही, मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 को भी संसद से मंजूरी मिल गई है, जो पुराने और अस्पष्ट वक्फ कानूनों को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।