UP Politics: वक्फ बिल पर जयंत चौधरी को मुस्लिमों का समर्थन, सपा को लगा बड़ा झटका
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश — उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। वक्फ संशोधन बिल को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) की स्थिति से नाराज सैकड़ों मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़कर राष्ट्रीय लोक दल (RLD) का दामन थाम लिया है। इस घटनाक्रम से अखिलेश यादव की पार्टी में खलबली मच गई है, जबकि जयंत चौधरी की अगुवाई में RLD को नया मुस्लिम समर्थन मिलता दिख रहा है।
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वक्फ संशोधन बिल बना सियासी टर्निंग पॉइंट
पार्लियामेंट में वक्फ संशोधन बिल पेश होने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय में असंतोष बढ़ रहा था। कई दलों के मुस्लिम नेता अपने-अपने स्टैंड को लेकर सवालों के घेरे में थे। खासकर समाजवादी पार्टी पर मुस्लिम वर्ग यह आरोप लगा रहा है कि उसने बिल पर कोई मजबूत स्टैंड नहीं लिया।
UP Politics: बुढ़ाना में सपा छोड़ RLD में शामिल हुए सैकड़ों मुस्लिम कार्यकर्ता
मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र में हुए एक बड़े कार्यक्रम में ग्राम प्रधान, बीडीसी सदस्य और ब्लॉक प्रमुख जैसे कई स्थानीय नेता सपा छोड़ RLD में शामिल हो गए। यह आयोजन विनोद मलिक के नेतृत्व में हुआ, जिसमें नए सदस्यों का स्वागत जोरदार तरीके से किया गया।
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मुस्लिम समाज का जयंत चौधरी पर विश्वास
नए RLD कार्यकर्ताओं का कहना है कि जयंत चौधरी ही एकमात्र नेता हैं जो वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ मजबूती से आवाज उठा रहे हैं। मुस्लिम समाज को RLD के रुख में पारदर्शिता और संजीदगी दिख रही है, जबकि सपा की चुप्पी ने उन्हें निराश किया।
UP Politics:जयंत चौधरी और वक्फ बिल: विरोध या समर्थन?
दिलचस्प बात यह है कि खुद जयंत चौधरी ने संसद में वक्फ बिल का समर्थन किया था, जिससे अफवाहें फैलीं कि पार्टी के अल्पसंख्यक नेता नाराज हैं। लेकिन RLD प्रवक्ता अनिल दुबे ने इन अटकलों को खारिज करते हुए साफ किया कि मुस्लिम समाज पूरी मजबूती के साथ जयंत चौधरी के साथ खड़ा है।
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सपा के लिए खतरे की घंटी?
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक का बड़ा हिस्सा सपा के साथ रहा है। लेकिन वक्फ बिल पर पार्टी की चुप्पी और निष्क्रियता ने इस समर्थन को कमजोर कर दिया है। RLD की बढ़ती स्वीकार्यता ने साफ कर दिया है कि आने वाले चुनावों में सपा को मुस्लिम वोटों के लिए कड़ी चुनौती मिल सकती है।
निष्कर्ष:
वक्फ संशोधन बिल ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को एक नया मोड़ दे दिया है। जहां सपा कमजोर होती दिख रही है, वहीं RLD मुस्लिम समुदाय के एक नए ठिकाने के रूप में उभर रही है। अब देखना होगा कि अखिलेश यादव इस झटके से कैसे उबरते हैं और क्या जयंत चौधरी इस लहर को लंबी दूरी तक ले जा पाते हैं।