आने वाले वर्ष 2022 में पंजाब(Punjab), उत्तरप्रदेश (Uttar Preadesh) सहित अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने हैं। चुनाव कि तैयारी में सभी दल लग गए है। कुछ पार्टी के नेता कांग्रेस (Congress) के साथ गठबंधन कर रहें हैं। तो वहीं कुछ नेता सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम रहे हैं। पंजाब बीजेपी (Punjab BJP) अपने पार्टी को और ज्यादा मजबूत करने के लिए अन्य दलों के नेताओं से बात चीत कर रही हैं। इसी क्रम में आज ही के दिन एक ऐसे खास नेता पंजाब बीजेपी में शामिल हुए हैं। जिसे न सिर्फ भारत बल्कि देश विदेश के लोग भी जानते हैं। आखिर कौन है, वह नेता और क्यों लोग कर रहे हैं, इस नेता की खूब चर्चा? आइए आपको पूरी खबर विस्तार से बताते हैं।
पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पोते हुए बीजेपी में शामिल
आपको बता दें कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पोते इंद्रजीत सिंह आज यानी 13 सितंबर को भाजपा में शामिल हो गए। इंद्रजीत सिंह के भाजपा में शामिल होते समय हरदीप सिंह पूरी तथा अन्य कई भाजपा के नेता मौजूद थे। हरदीप सिंह पूरी ने इंद्रजीत सिंह को बीजेपी की सदस्यता दिलाई। आपको बता दें कि यह कार्यक्रम दिल्ली स्थित भाजपा हेडक्वॉर्टर में हो रहा था। बीजेपी का दामन थामते समय इंद्रजीत सिंह ने पार्टी के बारे में कई अन्य बातें बताई।
जून में 7 अन्य नेता भी हुए थे बीजेपी में शामिल
पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारत के पूर्व राष्ट्रपति के बेटे इंद्रजीत सिंह के भाजपा में शामिल होने से अब यह साफ हो चुका है कि पंजाब के कई नेता बीजेपी में ही शामिल होना चाहते हैं। इससे न सिर्फ भाजपा पार्टी को फायदा होगा बल्कि भारतीय जनता पार्टी के कई कार्यकर्ताओं तथा पंजाब की जनता को भी लाभ मिलेगा। आपको बताते चलें भी इसी वर्ष जून में पंजाब के 7 अहम नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे।
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बीजेपी अकेले चुनाव में उतरने की तैयारी में
अभी तक विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल एक साथ मिलकर चुनाव में उतरते थे। भारतीय जनता पार्टी अकाली दल की सहयोगी दल के रूप में चुनाव में उतरती थी। लेकिन इस विधानसभा चुनाव में कृषि कानून की वजह से अकाली दल ने भारतीय जनता पार्टी से अपना समर्थन वापस ले लिया था। मीडिया द्वारा मिल रही खबरों के अनुसार भाजपा ने अकेले चुनाव में उतरने का निर्णय लिया है। 2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों मेंअकाली दल को 15 और भाजपा को सिर्फ 3 सीटें ही मिल पायी थी।