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Sunday, September 8, 2024

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फिर से पुराने ढर्रे पर लौटेगा किसान, कृषि कानून वापसी से देखें कैसे होगा मंडियों-आढ़तियों का फायदा !

तीनों कृषि कानूनों (Farm Bills) को वापस लेने का निर्णय लेने के बाद ही कई लोग अब चर्चाएं करते नजर आ रहे हैं। कुछ लोग यह सवाल कर रहे हैं कि अगर तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लेंगे। तो क्या पहले की तरह किसानों को फिर से आढ़तियों (Arhtiya) और मंडियों (Agriculture Market) के सहारे अपनी फसल को बेचना होगा। इस खबर के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि तीनों कृषि कानून वापसी होने के बाद किसानों को किस तरह से परे शानी आने वाली है। इससे छोटे किसान (Small Farmers) किस तरह और ज्यादा गरीब होते चले जाएंगे। आइए आपको पूरी खबर विस्तार से बताते हैं।

आढ़तियों की मदद से बेचना होगा

जैसा कि आपको पता है कि तीनों कृषि कानून में एक सबसे अहम कारण यह भी था कि कोई भी कहीं भी अपनी फसल को बेच सकता था। तीनों कृषि कानूनों की वापसी होने के बाद किसानों को एक बार फिर आढ़तियों के सहारे फसल बेचना होगा। सिर्फ इतना ही नहीं आढ़ति फसल के हिसाब से कमीशन के रूप में पैसे भी लेते हैं। छोटे किसान अब आढ़तियों के कारण फसल से ज्यादा मुनाफा नहीं कमा सकेंगे। क्योंकि फसल का एक भाग तो मंडी में मौजूद बिचौलियों को देना होगा।

500 निजी मंडी खुलने वाले थे

आपको बताते चलें कि तीनों कृषि कानूनों के तहत 500 और निजी मंडी खुलने वाले थे। इस मंडी में किसी भी राज्य के किसान अनाज बेच सकते थे। लेकिन अब किसानों को अनाज बेचने के लिए उसी मंडी में जाना होगा। जहां वे रहते हैं, वे अपने अधिकार क्षेत्र से बा हर वाले मंडी में अपना अनाज नहीं बेच सकते हैं। अगर कोई किसान किसी अन्य राज्य में जाकर अनाज को बेचना चाहेगा। तो उन्हें शु ल्क के रूप में कुछ रकम उस राज्य को अदा करना होगा। जिस राज्य में किसान अपना फसल बेचना चाहते हैं।

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देना होगा मंडी शु ल्क

सिर्फ इतना ही नहीं अलग राज्यों के किसानों को मंडी शु ल्क के रूप में कुछ पैसे देने होंगे। किसानों को फसल बेचने के लिए सरकारी मंडी पर ही निर्भर होना पड़ेगा। किसान किसी निजी कंपनी के मालिकों को अनाज नहीं बेच सकते हैं। एमएसपी में पारदर्शिता लाने की बात कही जा रही है। अगर एमएसपी में पारदर्शिता नहीं आई तो पहले की तरह फिर से छोटे किसान शहर की ओर जाने की कोशिश करेंगे। क्योंकि छोटे किसानों के पास जमीन कम होती है। कम जमीन होने के कारण वे खेती से अपना गुजर-बसर नहीं कर सकते।

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