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Saturday, July 27, 2024

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जानिए राजा भैया और मायावती का वो किस्सा, जो 19 साल बाद भी है जिंदा…!

जिस तरह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) 2022 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं उसी तरह राजनीतिक पार्टियां  (Political Party) प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। उसी में पुराने किस्से भी सामने आ रहे हैं। इसी के चलते कुछ लोगों ने अपनी पार्टी भी बना ली है। जो आने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को उतरेंगे। उन्ही में एक व्यक्ति है। जो अपनी पहचान के मोहताज नही है। वो एक राज परिवार से आते है । जानिए विस्तार से पूरी खबर।

ऐसा था राजा भैया का राजनीतिक जीवन

आज जिनकी बात हो रही है। वो अपनी पहचान के मोहताज नही है। वो उत्तर प्रदेश की एक रियासत के राजा है। आज बात कर रहे हैं। रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) उर्फ राजा भैया जो उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) जिले के कुंडा (Kunda) क्षेत्र से आते हैं। राजा भैया की खास बात है कि वह सन 1993 से अब तक कुंडा से निर्दलीय विधायक चुने जाते हैं। वो आज तक कभी अपनी विधान सभा क्षेत्र से असफल नही हुए। राजा भैया समाजवादी पार्टी (SP) से मंत्री बने है।

ऐसा था मायावती का राजनीतिक जीवन

मायावती ( Mayawati) बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख है। वो दलितों की एक ब ड़ी नेता है। मायावती की दलित समाज मे एक अलग पहचान बनी हुई है। ऐसा इसलिए है क्यों कि मायावती ने दलित समाज को आगे बढ़ाने में कोई कसर नही छोड़ी। मायावती के शासनकाल में दलितों को उनके अधिकार (Rights) मिले थे । मायावती दलितों की मसीहा है। जिन्होंने शासन में आकर उत्तर प्रदेश के दलितों की स्थति को सुधार दिया।

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मायावती और राजा भैया का राजनीतिक किस्सा

‌आपको बता दे कि आज जिस किस्से (Story) की बात कर रहे है। वो राजनीति में एक प्रसिद्ध (Famous) किस्सा है। बात कर रहे है । राजा भैया और मायावती की जिनके बीच राजनीतिक रिश्ते अच्छे नही है। दोनों के राजनीतिक रिश्ते 1993 से ही अच्छे नही थे। एक बार राजा भैया ने मायावती पर जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया था। जिसके बाद मायावती ने राजा भैया पर अपनी सरकार में पोटा( Pota) कानून लगाया था । जिसकी वजह से राजा भैया को हवालात में रहना पड़ा था।

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