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Saturday, July 27, 2024

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जानिए PM Modi का सु रक्षा प्रोटोकॉल….

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) पंजाब (Punjab) में परियोजनाओं का शिलान्यास करने के लिए गए थे। लेकिन रास्ते में ही कुछ लोगों ने उनको घेर लिया था। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां से वापस लौट आए। इस तरह प्रधानमंत्री का वापस लौट आना। प्रधानमंत्री की रक्षा के लिए पंजाब सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है। जिसके बाद लोग कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री के रूट के बारे में किसी को जानकारी नहीं होती है।आइए बताते हैं कि प्रधानमंत्री का रूट किस तरह किया जाता है।

पीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी SPG की होती है

प्रधानमंत्री की रक्षा की पूरी जिम्मेदारी एसपीजी के होती है। प्रधानमंत्री की रक्षा उसी तरह होती है। जिस तरह अन्य देशों के प्रमुखों की होती है। भारत के प्रधानमंत्री को 24 घंटे रक्षा के देने के लिए होते हैं। SPG के कामंडो को तैनात किए जाते हैं। इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है। SPG के जवानों के पास MNF-2000 असॉल्ट रा इफल, ऑटोमेटिक ग न और 17 एम रिवॉल्वर जैसे आधुनिक साजोसमान होते हैं।

प्रधानमंत्री NSG के कमांडो से घिरे होते हैं

PM Modi के काफिले में 2 BMW 7 सीरीज सेडान (BMW 7 Series Sedan), 6 BMW X-5 और एक मर्सिडीज बेंज (Mercedes-Benz)एंबुलेंस (Ambulance) के साथ एक दर्जन से अधिक वाहन (Vehicles) होते हैं। इनके अलावा, एक टाटा सफारी जैमर (TATA Safari jammer) भी प्रधानमंत्री के साथ चलता है। प्रधानमंत्री की गाड़ी के आगे रक्षाकर्मियों के साथ पुलिस (Police) की गाड़ियां होती हैं और ना ही औरतों वाहन होते हैं। बाईं और दाईं ओर 2 गाड़ियां होती हैं। इनके बीच में प्रधानमंत्री की बु लेटप्रूफ गाड़ी होती है। लोगों को भ्र मित करने के लिए प्रधानमंत्री के गाड़ी के समान दो डमी कार होती है। प्रधान मंत्री के साथ लगभग100 लोगों का दल होता है।

किस तरह तय किया जाता है प्रधानमंत्री का रूट

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री के आगे दिल्ली या संबंधित राज्य की पुलिस (Police) की गाड़ियां भी चलती है। जो आगे के रूट को क्लियर (Clear) करती हैं। स्थानीय पुलिस एसपीजी (SPG) को रास्ता दिखाती है। वीआईपी (VIP) के लिए कम से कम दो रूट तय किए जाते हैं। इस रूट के बारे में किसी को पहले से जानकारी नहीं होती है। एसपीजी ही आखिरी समय में रूट तय करती है। एसपीजी किसी भी समय रूट बदल सकती है। एसपीजी राज्य की पुलिस के साथ मिलकर काम होता है। जिससे राज्य की पुलिस आगे के रूट को क्लियर करती है।

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