आजकल के समय के अंदर दहेज प्रथा लगभग खत्म ही हो चुकी है लेकिन एक समय वह भी था जब दहेज प्रथा की वजह से माता-पिता समझते थे! उस समय में हर कोई बेटी नहीं बल्कि बेटे की कामना किया करते थे! लेकिन कहीं ना कहीं इसका असर आज भी है आज भी जब पुत्र पैदा होता है तो उसको खुशियों का खजाना मानने लगते हैं जब किसी गरीब या मध्यम वर्गीय परिवार के अंदर पुत्री का जन्म होता है तो माता-पिता के कल की चिंता है जन्म लेने लगती हैं! उनके मन में यही चिंता रहती कि इसके लिए योग्य वर मिलेगा या नहीं? ससुराल में सुखी रहेगी या नहीं? साथ ही दहेज एक सबसे बड़ी चिंता का विषय भी बन जाता है?
लेकिन दहेज के लिए आपने अक्सर सुना ही होगा और देखा भी होगा लोग आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं किंतु ऐसा भी नहीं है कि सभी लोग एक जैसे ही होते हैं! हम आपको आज एक ऐसे ही मामले के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसकी काफी चर्चा हो रही हैं! दरअसल यह मामला राजस्थान के बूंदी जिले का है जहां के गांव पेपर वाला निवासी रिटायर प्रधानाचार्य के पुत्र की सगाई प्रदेश भर में एक मिसाल बन कर सामने आई है! रिटायर्ड पिता ने समाज को एक बड़ा संदेश दिया है दरअसल उन्होंने अपने बेटे की सगाई के अंदर दहेज में मिली लाखों रुपए की रकम बेटे के ससुर को वापस लौटा दी है!
मिल रही जानकारी के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि प्रधानाचार्य बृजमोहन मीणा ने अपने पुत्र रामधन मीणा की सगाई के कार्यक्रम में टोंक जिले के उनियारा तहसील में स्थित द्वारा ग्राम पंचायत के सोलतपुरा गांव में पहुंचे थे! जहां पर दुल्हन आरती मीणा के साथ सगाई का कार्यक्रम होना था और इस कार्यक्रम के दौरान समाज की परंपरा एवं रीति रिवाज के तहत दुल्हन पक्ष की ओर से दूल्हा पक्ष को दहेज दिया जाता है! लेकिन दूल्हे के पिता बृजमोहन को दहेज के रूप में 11लाख 101 रुपए की भेंट की थाल सजाकर दी गई थी जिसको उन्होंने लेने से मना कर दिया!
जब दूल्हे के पिता ने दहेज लेने से मना कर दिया तब उनके परिवार को लगा कि यह दहेज से अधिक पैसों की मांग करना चाहते होंगे और इस वजह से उन्होंने पैसे लेने से मना कर दिया है! लेकिन सच्चाई तो सबके सामने आई है तो दुल्हन के पिता की आंखों में भी आंसू आ गए दरअसल बृजमोहन ने हमको बताया है कि उनका परिवार दहेज के खिलाफ है उन्होंने आगे कहा है कि मैं शगुन के रूप में सिर्फ ₹101 ही लूंगा बाकी के पैसे वापस कर लो!