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Wednesday, July 24, 2024

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लाइब्रेरी में रखे 3000 भागवत गीता में उपद्रवियों ने लगा दी आग…

हिन्दू समाज के इतिहास को उठाकर देखा जाए तो हमेशा उनके ग्रंथों को नष्ट करने की कोशिश की गई है कभी मुगलों ने मंदिरों को तोड़ा तो कभी अंग्रेजों ने हिन्दू ग्रंथों की प्रतियाँ जला डाली। वर्तमान में भी ऐसी ही एक घटना सामने आई है जिसमे सामाजिक उपद्रवियों में एक छोटी से लाइब्रेरी में पड़ी भागवत गीता की 3000 प्रतियों को आग लगा दी यह घटना शुक्रवार (अप्रैल 9, 2021) को कर्नाटक के मैसूर में घटित हुई है , जहां कुछ असामाजिक तत्वों ने लाइब्रेरी को ही आग लगा दी थी। इस पुस्तकालय में लगभग सभी भागवत गीता की प्रतियाँ जला डाली। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह सार्वजनिक पुस्तकालय सैयद इसाक नाम के एक शख्स का था।

पुस्तकालय के अंदर सिर्फ भागवत गीता ही नही रखी हुई थी इस लाइब्रेरी में लगभग 11,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रहण था। सैयद इसाक अपनी लाइब्रेरी की पहल के लिए आसपास के निवासियों के बीच और क्षेत्रों में लोकप्रिय थे, जिससे लोगों को हजारों पुस्तकों तक पहुँचने में आसानी हुई। सैयद ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “सुबह 4 बजे लाइब्रेरी के बगल में रहने वाले एक शख्स ने मुझे बताया कि अंदर आग लगी हुई है। जब मैं लाइब्रेरी पहुँचा, जो कि कुछ ही दूरी पर है, तो मैंने उसे राख में तब्दील होते हुए देखा।”

सैयद इसाक का कहना है कि, “पुस्तकालय में भगवद गीता के 3,000 से अधिक उत्कृष्ट संग्रह थे, कुरान और बाइबिल की 1,000 प्रतियों के अलावा विभिन्न शैलियों की हजारों पुस्तकें थी, जिन्हें मैंने दान करने वालों से प्राप्त किया था।” उन्होंने मामले पर पुलिस से संपर्क किया और आईपीसी की धारा 436 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है।

सैयद अपने जीवन की शुरुआत से ही शिक्षा से वंचित रहे इन परिस्थितियों से गुजरने के बाद सैयद ने यह फैसला किया कि वह दूसरों को ऐसी दुर्दशा में नही देखना चाहता जिससे वह खुद गुज़र चुका है इसलिए उसने सुनिश्चित किया कि वह एक पुस्तकालय का निर्माण करेगा जिसमे सभी लोग बैठकर पढ़ सकेंगे वह कहता था कि लोग कन्नड़ पढ़ना और बोलना सीखें ,” आपको बता दें कि सैयद इसाक दिहाड़ी मजदूर है

इसाक सैयद ने इस सार्वजनिक पुस्तकालय का निर्माण अमार मस्जिद के पास राजीव नगर में एक निगम पार्क के अंदर एक शेड जैसी संरचना में किया था। उस पुस्तकालय में हर दिन लगभग, 100-150 से अधिक लोग पढ़ने आते थे। इसाक कन्नड़, अंग्रेजी, उर्दू और तमिल सहित 17 से अधिक समाचार पत्रों की खरीद भी किया करते थे। हालाँकि वह अपनी जेब से पैसा खर्च नहीं करते थे, लेकिन वह लाइब्रेरी के रखरखाव और अखबारों की खरीद पर लगभग 6,000 रुपए खर्च करते थे।

समाज मे ऐसे लोग बहुत कम ही होते है जो सामाजिक सेवा के लिए कार्यरत रहते है, जिस प्रकार इस पुस्तकालय को असामाजिक तत्वों द्वारा जलाया गया, यह बहुत ही निन्दनीय है पुस्तकों को जलाना शिक्षा का अपमान करने के समान है।

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