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Saturday, July 27, 2024

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Singapur में लाखों की सैलरी छोड़कर,अपने गांव में खेती कर रही स्वाति,खड़ी कर दी खुद की कंपनी…

Lakhimpur Kheri Girl Swati Pandey Staring Stevia Farming Now Have Own Company: अक्सर आप लोगों ने टीवी के ऊपर विज्ञापन तो देखे होंगे जिसके अंदर शुगर फ्री होने की बात कही जाती है! दवा तो यह भी किया जाता है कि इसको खाने से शुगर जैसी बीमारी का कोई खतरा ही नहीं होता है! दरअसल इस शुगर फ्री को नेचुरल स्वीटनर कहा जाता है! वहीं दूसरी ओर चीनी की जगह इस्तेमाल होने वाली इस चीज का विदेश के अंदर काफी ज्यादा मांग है!

अब ऐसे में नेचुरल स्वीटनर की खेती उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हो रही है! इसके साथ साथ किस्मत भी बदल रही है लेकिन क्या आपको मालूम है कि इसके पीछे एक ऐसी लड़की का हाथ है! जिसमें सिंगापुर के अंदर अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी है और लखीमपुर खीरी को बदलने का फैसला लिया है! तो आइए हम आपको बताते हैं उस लड़की की पूरी कहानी!

कौन है स्वाति पांडे?

वर्तमान में लखीमपुर खीरी के किसान बड़ी मात्रा में स्टेविया उगा रहे हैं! इस खेती के पीछे स्वाति पांडे का हाथ है! दरअसल, नीमगांव क्षेत्र के कोटरा गांव की रहने वाली स्वाति ने धनबाद आईआईटी से इंजीनियरिंग की! इसके बाद उसने कॉमनवेल्थ गेम्स स्कॉलरशिप प्राप्त की और पीजी करने के लिए लंदन चली गई!

फिर, इम्पीरियल कॉलेज के दौरान उनको एक अद्भुत नौकरी मिली और वह सिंगापुर चली गई! स्वाति ने देखा कि सिंगापुर में प्राकृतिक स्वीटनर की मांग बहुत अधिक है! यहीं से उनके दिमाग में स्टेविया का विचार आया!

पट्टे पर जमीन लेकर खेती शुरू की

एक बार नौकरी के दौरान स्वाति अपने गाँव कोटरा आईं! यहां के किसानों की खराब हालत देखकर उन्होंने अपने विचार को जमीन पर उतारने का फैसला किया! स्वाति ने सबसे पहले लखीमपुर खीरी में स्टेविया की नर्सरी बनाई! इसके बाद उन्होंने पट्टे पर जमीन लेकर खेती शुरू की!

केवल तीन साल शोध किया कि स्टेविया की किस किस्म को लागू किया जाए! खेती शुरू हुई और एक दिन कंपनी खुल गई! आज स्थिति यह है कि लगभग 100 एकड़ में स्टेविया की खेती की जा रही है! किसानों और व्यापारियों को लाभ मिल रहा है!

करोड़ों का कारोबार हुआ शुरू, बढ़ रही है मांग

स्टेविया का बाजार तेजी से बढ़ रहा है! उद्योग एआरसी के अनुसार, एक मलेशियाई कंपनी ने पिछले पांच वर्षों में भारत में 1200 करोड़ का कारोबार किया है! इसके अलावा, वैश्विक बाजार इस समय लगभग 5000 करोड़ रुपये का हो गया है! केवल स्टीविया से बने 100 से अधिक उत्पाद भारत में हैं!

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