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Saturday, September 7, 2024

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भूरा को मिला वफ़ादारी का इनाम….

तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों (Farm Laws)  को लेकर चल रहा पिछले एक साल से किसानों (farmers) का जमाव स्थगित हो चुका है। अगले कुछ दिनों में इन इलाकों में जिं दगी (LIfe) पहले की तरह लौट आयेगी। लेकिन दिल्ली बार्डर (Delhi Border) पर किसानों के जमाव के दौरान हुए अनुभव लोगों के दिमाग में रह जाएंगे। इस बीच पिछले एक साल से किसानो के जमाव में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल ‘भूरा टाइगर’ नाम का कुत्ता चर्चा में है। आइए आपको बताते है विस्तार से खबर।

रविन्द्र चौधरी ने भूरा टाइगर के लेकर क्या कहा

पिछले एक साल से भारतीय किसान यूनियन (Bharatiya Kisan Union) के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) की अगुवाई में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजीपुर (Gazipur) में चल रहे जमाव में शामिल रविंद्र चौधरी (Ravindra chaudhary) भावुक होकर कहते हैं- ‘कैसे छोड़ दूं इस बेजुबान का साथ। भूरा के साथ रहते रहते अब उसके साथ एक अलग रिश्ता बन गया है। इस दौरान जैसे-जैसे आं दोलन आगे बढ़ा भूरा टाइगर (Bhura tiger) से लगाव बढ़ता गया।’ भूरा ने भी हमारे साथ इस आं दोलन में बराबर साथ दिया है।

भूरा टाइगर किस तरह आगे बढ़ा

किसान नेता रविंद्र चौधरी (Ravindra chaudhary) भूरा टाइगर को लेकर कहते हैं। कि जब कृषि कानूनों  (Farm Laws) को वापस लेने के लिए किसानो  का जमाव शुरू हुआ तब यह छोटा सा बच्चा था। जैसे-जैसे किसानों का जमाव बढ़ता गया । भूरा भी बढ़ता रहा । यह स्थल पर बने खाने को खाता था और वही पानी पीता था। जिसे सब किसान पीते थे। जा नवर है तो क्या हुआ, है तो यह जीव है। इसके भी भावनाए हैं।अब से से टेंट हटने लगे हैं तो यह खुश नहीं रहने लगा। ऐसे में मैंने इसे अपने साथ ले जाने का फैसला किया है।

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रविंद्र चौधरी और भूरा एक साथ रहेंगे

दौराला (Daurala) के किसान रविंद्र चौधरी (Ravindra chaudhary) कहते हैं। भूरा टाइगर (Bhura tiger) को मैंने अपने बच्चे की तरह पाला है। किसानों के जमा होने के दौरान खाली समय में इसे ट्रेनिंग (Traning) भी दी। उसी ट्रेनिंग का परिणाम है कि भूरा हमेशा उनके साथ ही रहता था। उनके टेंट में ही सोता था। गाजीपुर बार्डर (Gazipur Border) पर उनके साथ इधर उधर घूमता था। अन्य किसानों का कहना है कि भूरा टाइगर अपने मालिक रविंद्र चौधरी की भाषा को बहुत अच्छे से समझता है। दोनों के बीच एक अलग रिश्ता कायम रहा है। 380 दिन के बाद अब भी दोनों साथ-साथ ही रहेंगे। रविंद्र चौधरी इस भूरा को अपने साथ गांव (Village) ही ले जाएंगे।

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