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Sunday, September 8, 2024

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दारुल उलूम के मौलाना ने गांधी-नेहरू की तुलना तालिबान से की कहा…..

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) का राज आते ही देश दुनिया के राजनीतिज्ञ इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए हैं। कई देश के राजनेता तालिबान मुद्दे पर बयान देकर ही अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं। तो वहीं दूसरी तरफ कुछ नहीं तो इन मुद्दों पर बात करने से भी कतराते हैं। भारत में भी कुछ इसी तरह का हाल है। भारत के कई राजनेता से लेकर अभिनेता इस मुद्दे पर अपने विचार रखते आ रहे हैं। हाल ही में दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) के एक मौलाना ने तालिबान मुद्दे पर कुछ ऐसी बात कह दी है। जिसे जानने के बाद शायद ही आपको अच्छा लगे। आइए आपको पूरी खबर विस्तार से बताते हैं।

दारुल उलूम और तालिबान की विचारधारा एक समान

हाल ही में दैनिक भास्कर ने दारुल उलूम के प्रिंसिपल तथा जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) से इंटरव्यू किया था। आपको बता दें कि दारुल उलूम सहारनपुर के देवबंद में स्थित है। मीडिया से बातचीत के दौरान अरशद मदनी ने तालिबान के साथ साथ नेहरू- गांधी पर भी कई बातें कही है। जब पत्रकार ने अरशद मदनी से सवाल किया कि तालिबान की विचारधारा और दारुल उलूम की विचारधारा एक समान है? इस सवाल के जवाब में अरशद मदनी ने कहा कि जिस तरह से तालिबान गु लाम रहना नहीं चाहता। उसी तरह दारुल उलूम की विचारधारा भी गु लामी से ऊपर उठने की है।

गांधी नेहरू भी नहीं थे कम

दारुल उलूम उन सभी के नाम फतवा जारी करते हैं। जो मु सलमान धर्म के अनुसार सही काम नहीं करते। क्या कभी दारुल उलूम तालिबान में मौजूद लोगों के नाम भी फतवा जारी किया है अथवा करेगा? इस सवाल के जवाब में दारुल उलूम के प्रिंसिपल कहते हैं कि “दारुल उलूम सिर्फ उन्हीं के नाम फतवा जारी करता है, जो गु लामी की राह पर चलते हैं। तालिबान के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर तालिबान दहश तगर्दी है तो गांधी तथा नेहरू भी तालिबान से कम नहीं थे। क्योंकि भारत को स्वतंत्र करवाने में उनका बहुत अहम हाथ था।

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पर्दा में रहकर महिलाएं करें काम

आज तालिबानी जो कुछ भी वहां की जनता के साथ कर रहा है, क्या यह सही है? मीडिया द्वारा हम महिलाओं से जुड़ी कई खबरें सुनते हैं। इस सवाल के जवाब में दारुल उलूम के अध्यक्ष अरशद मदनी कहते हैं कि अगर तालिबान वहां सही से राज कर पाता है। वहां की जनता उनसे खुश रहती है तो तालिबान वहां पर राज करने में सफल होगा। वहीं दूसरी तरफ महिलाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर महिला पर्दे में रहकर कुछ करना चाहती है तो यह सही है। लेकिन वहीं अगर पर्दा से अलग होकर कुछ कार्य करती है तो उन्हें इस तरह के कार्य करने से परहेज करना चाहिए।

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