हिंदू धर्म के लिए पितृपक्ष बहुत ही अहम माना जाता है। पितृपक्ष की महत्वता भी बहुत अधिक होती है। पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को याद करते हैं, जो इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं। पितृपक्ष के दिन ही अपने पूर्वजों को याद करें उन्हें स्वर्ग में खुश रहने की कामना करते हैं। अगर आपके परिवार से भी कोई हाल ही में या फिर कुछ साल पहले इस दुनिया को अलविदा कह कर आए हैं तो यह खबर आपके बेहद काम की है क्योंकि इस खबर के माध्यम से हम आपको श्राद्ध करने के साथ ही साथ कई अन्य जानकारियां भी देने वाले हैं। अपने पूर्वजों को याद करने का यही एक समय होता है जिसमें हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं अन्यथा पूरे हम अपने कामकाज में लगे होते हैं।
20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक रहेगा पितृपक्ष
हिंदू पंचांग के मुताबिक इस वर्ष पितृपक्ष सोमवार 20 सितंबर को भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू हो रहा है। शुक्ल पक्ष का आखिरी दिन 6 अक्टूबर है। इस दिन अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या होगी। ज्योतिष आचार्य मनीष व्यास में जानकारी देते हुए बताया कि श्रद्धा श्रद्धा अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने से होता है। पितृपक्ष के दौरान है हमारे पूर्वज लोक से आते हैं जो हमें दिखाई तो नहीं देता लेकिन हमें यह समझ में आता है कि वह हमारे इर्द-गिर्द ही हैं।
कैसे करे श्राद्ध
मशहूर भविष्यवक्ता और कुंडली देखने वाले मनीष व्यास ने जानकारी देते हुए बताया कि पितृपक्ष में प्रतिदिन हमें पानी में दूध जो चावल और गंगाजल मिलाकर ही तर्पण करना चाहिए। इस दौरान हमें पिंड दान करना चाहिए। अगर हम अपने पूर्वजों को ज्यादा खुश करना चाहते हैं तो इसके लिए हम कम पके हुए चावल दूध और 3 को मिलाकर पिंड दान कर सकते हैं। पिंड को शरीर का प्रतीक भी माना जाता है।
पितृपक्ष में यह खाए
पितृपक्ष के दौरान में चना, मसूर, बैंगन, हींग, शलजम, मास, लहसुन, प्याज और काला नमक नहीं खाना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान कई लोग नए-नए वस्त्र ,भवन, गहने तथा अन्य सामान खरीदते हैं। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य, विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान नहीं करना चाहिए। हालांकि देवताओं की पूजा को बंद नहीं करना चाहिए। श्राद्ध (Shradh ) के दौरान पान खाने, तेल लगाने और संभोग की मनाही है। इस दौरान रंगीन फूलों का इस्तेमाल भी वर्जित है।