हिन्दू धर्म में तुलसी(Tulsi) के पौधे का विशेष महत्व है। तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय है। शास्त्रों में तुलसी को देवी की संज्ञा दी गई है। तुलसी के औषिधीय गुणों को देखते हुई आयुर्वेद(Ayurveda) में भी तुलसी का बहुत अधिक महत्व है। तुलसी को लेकर ये भी मान्यता है कि इसके बीना कोई पूजा पूरी नहीं होती है। हनुमान जी से संबंधित अनुष्ठान में भी तुलसी के पत्तों का प्रयोग होता है। सनातन संस्कृति में गंगा जल(Ganga Water) और तुलसी(Tulsi) को बासी नहीं माना गया है। इतनी विशेषताओं से भरी तुलसी के पत्तों को तो’ ड़ने के कुछ नियम है। क्या आप उन नियमों के बारे में जानते है। अगर नहीं तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे है।
तुलसी-एक विशेष पौधा
आमतौर पर हर हिंदू घर में तुलसी(Tulsi) का पौधा देखने को मिल जाता है। तुलसी को बहुत पवित्र माना जाता है। तुलसी की लोग पूजा भी करते है और अन्य धार्मिक अनुष्ठान में इसका प्रयोग भी करते है। इसके अलावा तुलसी को एक औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। हाल ही में एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि डायबिटीज के रो’गियों के लिए तुलसी एक रामबाण औषधी है। तुलसी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो विभिन्न तरह के रोगों में लाभकारी होता है। बदलते मौसम के साथ स्वास्थ्य में होने वाले उतार-चढ़ाव से बचने के लिए डॉक्टर्स तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने की सलाह देते है।
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तुलसी के पत्तों को तो ‘ड़ने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
वास्तु शास्त्र के अनुसार, तुलसी के पौधे को उत्तर और पूर्व दिशा में लगाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। तुलसी को रसोई के पास नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक उर्जा बढ़ती है। ऐसी मान्यता है कि तुलसी के पत्तों को बीना स्नान के हाथ नहीं लगाना चाहिए और न ही उसको तो’ ड़ना चाहिए। रविवार के दिन तुलसी के पत्तों को तो’ ड़ना शुभ नहीं होता है। रविवार का दिन भगवान विष्णु का है और तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है। इसलिए इस दिन तुलसी के पत्तों को हाथ नहीं लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि तुलसी के पत्तों को नाखून की जगह हाथों से तो’ड़ना चाहिए। नाखून का इस्तेमाल करने से पाप लगता है। इसके अलावा तुलसी के पत्ते को एकादशी, संक्रान्ति, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण और शाम के समय में तुलसी का पत्ता नहीं तो’ड़ना चाहिए।