कॉन्ग्रेस पार्टी को 24 साल बाद गाँधी परिवार से अलग मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun kharge) के रूप में नया अध्यक्ष मिला है. अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़गे को कुल 7897 वोट मिले. वहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर (Shashi Tharoor) को सिर्फ 1072 वोट मिले. इस चुनाव में कुल 9385 नेताओं ने वोट डाले थे, जिनमें से 416 वोट रद्द हो गए.
नतीजे से पहले ही शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा कि अध्यक्ष पद के चुनाव में अनियमितता हुई है और यह फ्री और फेयर नहीं था. मधुसूदन मिस्त्री को लिखे खत में थरूर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चुनाव के संचालन में अत्यंत गंभीर अनियमितताएँ सामने आईं. थरूर ने खड़गे के समर्थकों पर यूपी में चुनाव के दौरान अनाचार में लिप्त रहने का आरोप लगाया. यह पत्र अब सामने आया है.
हालाँकि, चुनाव में हार के बाद शशि थरूर (Shashi Tharoor) मल्लिकार्जुन खड़गे(Mallikarjun kharge) के घर पहुँचे और उन्हें बधाई दी. इस दौरान थरूर ने खड़गे से कहा, “मैं उम्मीद करता हूँ कि खड़गे इस जिम्मेदारी को निभाने में सफल होंगे.” वहीं, सचिन पायलट(Sachin Pilot) और तारिक अनवर(Tariq Anwar) भी खड़गे के घर पहुँचकर उन्हें बधाई दी. इस चुनाव में खड़गे को 90 प्रतिशत वोट मिले हैं.
पार्टी अध्यक्ष पद का नतीजा सामने आने के बाद पार्टी नेता और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) का भी बयान आया है. राहुल गाँधी ने कहा, “मैं कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की भूमिका पर टिप्पणी नहीं कर सकता. यह मल्लिकार्जुन खड़गे तय करेंगे कि मेरी भूमिका क्या रहेगी.” राहुल गाँधी ने कहा कि वे अब नए अध्यक्ष खड़गे को रिपोर्ट करेंगे. उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के पास सर्वोच्च अधिकार है.
थरूर की तरफ से धाँधली के लगाए गए आरोपों पर राहुल गाँधी कहा, “कॉन्ग्रेस देश की अकेली पार्टी है, जिसने अध्यक्ष पद के चुनाव कराए. हम ही ऐसी पार्टी हैं, जिसमें चुनाव आयोग है और जिसके मुखिया टीएन शेषन जैसे व्यक्ति हैं. अगर चुनाव में धाँधली हुई है तो इस पर पार्टी का चुनाव आयोग निर्णय लेगा.””
कॉन्ग्रेस पार्टी के 137 साल के इतिहास में 6ठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है. इससे पहले साल 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए थे. पार्टी में 22 वर्षों के बाद अध्यक्ष पद का लिए चुनाव हुआ है. वहीं, 24 साल बाद कॉन्ग्रेस को फिर से गैर-गाँधी परिवार का अध्यक्ष मिला है. इससे पहले अध्यक्ष बनने वाले गैर-गाँधी परिवार के अंतिम व्यक्ति सीताराम केसरी (Sitaram Kesari) थे.