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Sunday, September 8, 2024

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Indian Army के BRO ने रच दिया है इतिहास, Guinness World Record में नाम हुआ दर्ज…..

इंडियन आर्मी(Indian Army) के बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (organization) को लेकर एक बहुत ही अहम खबर (News) आ रही है। इस खबर को पढ़ने के बाद आपको भी हमारे देश(Country) भारत (India) के सैनिकों के ऊपर गर्व (Proud) होगा। इस खबर के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि आखिरकार हम सैनिकों पर गर्व करने की बात क्यों कर रहे हैं। साथ ही साथ हम आपको यह भी बताने वाले हैं कि हमारे देश के सैनिकों को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Record) में क्यों दर्ज किया गया है। भारत के सैनिकों को लेकर तरह-तरह की बातें की जाती है लेकिन इस खबर को पढ़ने के बाद आप सहमत हो जाएंगे कि हमारे देश के सैनिक कितने काबिल हैं।

इंडियन आर्मी (Indian Army)के BRO का नाम हुआ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज

बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में क्यों दर्ज किया गया है तो आपको बता दे कि इसकी वजह यह है कि लद्दाख में 19300 फीट की ऊंचाई (Hieght) पर दुनिया (World) की सबसे लंबी और ऊंची मोटरेबल रोड बनाया गया था और उस पर डामर भी चढ़ाया गया था। अगर इस रास्ते की बात करें तो इसे उमलिंग ला पास कहा जाता है।

रोड बनाने वाली एजेंसी BRO को लेकर हो रही है चर्चा

रोड बनाने वाली एजेंसी (Agency) का नाम बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन है। उमलिंग ला पास से पहले खारडुंग ला पास का निर्माण हुआ था। यह दुनिया (World) की सबसे ऊंची रोड है। इस रोड पर वाहन चला पाना आसान काम नहीं है। उत्तर भारत (North india) में रोड बनाने के लिए बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन बहुत ही मशहूर (Famous) है। ऊंचाई पर जाने के लिए बनाए गए सड़क का इस्तेमाल कर वहां के लोगों को बहुत ही ज्यादा लाभ हो रहा है। सड़के काफी ऊंची और लंबी है।

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BRO इंडिया को हार्दिक बधाई– नितिन गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Record) में नाम दर्ज होने के बाद बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन को बधाई दी है। सिर्फ इतना ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि भारत में काम करने वाले कई लोग ऐसे हैं। जिनके पास प्रतिभा की कमी नहीं है। प्रतिभाओं के साथ ही साथ उन्होंने सैनिकों को भी धन्यवाद कहा है। क्योंकि सैनिकों की मदद (Help) से ही इस रोड का निर्माण संभव हुआ है।

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