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Sunday, September 8, 2024

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युवक ने अपने माँ-बाप को दफनाने से किया इनकार,हिन्दू रीति रिवाज से किया दाह संस्कार..

कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश में तांडव मचा दिया है। प्रतिदिन 2 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे है। कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या भी बढ़ गई है। इस बीच मध्यप्रदेश से एक खबर आई है जो जरा हटके है। जैसे कि हम जानते है कि ईसाई धर्म में मृत्यु के उपरांत शव को ताबूत में बंद करके दफनाने की परंपरा है लेकिन मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक ईसाई युवक ने जन कल्याण के लिए अपने माता-पिता का दाह संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से करवाया।

दरअसल इस ईसाई युवक का मानना है कि हिंदू रीति रिवाज से दाह संस्कार करने से शव के साथ-साथ कोरोना वायरस भी अग्नि में जल जाएगा। इससे अन्य लोगों में संक्रमण नहीं फैलेगा। बेटे के निवेदन पर स्थानीय प्रशासन ने ईसाई दंपति का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों से कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश के महोबा में 65 वर्षीय ईसाई बुजुर्ग अपनी 61 साल की पत्नी के साथ रहते थे। जब उनके बेटे को पता चला कि उसके माता पिता कोरोना वायरस से संक्रमित हैं तो वह दोनों को महोबा से रेफर कराकर इलाज के लिए उसी रात छतरपुर ले आया। हालांकि संक्रमण के पूरे शरीर में फैल जाने के कारण ईसाई दंपत्ति की हालत नाजुक हो गई।

छतरपुर पंहुचने से पहले ही माँ की मौत हो गई, मगर बेटे को लगा कि वह बीमार है। उसने माँ-बाप को ईसाई अस्पताल में भर्ती करवाया। डॉक्टरों ने पहले माँ को मृतक घोषित कर दिया और फिर उसी रात पिता की भी कोरोना से मौत हो गई। जब युवक से ईसाई दंपति को कब्रिस्तान में दफनाने को बोला गया तो बेटे ने ऐसा करने से मना कर दिया और हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अपने माता-पिता के दाह संस्कार की इच्छा जताई।

स्थानीय प्रशासन ने युवक की इच्छा को स्वीकार किया और नगर पालिका प्रबंधन की गाइडलाइन का पालन करते हुए सागर रोड स्थित भैंसासुर मुक्तिधाम में हिंदू रीति रिवाज के तहत दोनों शवों का दाह संस्कार करवाया।

हिंदू रीति रिवाज से ईसाई दंपति के दाह संस्कार के निर्णय का छतरपुर के ईसाई समाज ने खुले दिल से स्वागत किया। छतरपुर के ईसाई समाज के अध्यक्ष जयराज ब्राउन ने इस पर कहा कि छतरपुर मसीही समाज की ओर से अंतिम संस्कार करने से किसी को नहीं रोका गया। जिन कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग दंपति का देहांत हुआ था, उनके बेटे ने ही सुरक्षा की दृष्टि से हिंदू रीति से अंतिम संस्कार करने का फैसला किया था। उनके पार्थिव देह ताबूत में रखकर दफनाने के बजाए अग्नि में जला देना उसे कोरोना सुरक्षा की दृष्टि से ज्यादा ठीक लगा।

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