Sunday, May 18, 2025
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वक्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 पर मुस्लिम समुदाय का विरोध: आज रात बिजली बंद करने का आह्वान

'Save Waqf' Movement: Indian Muslims Protesting Waqf Law with Nighttime Blackout

वक़्फ़ बचाओ: वक्फ़ संशोधन अधिनियम के खिलाफ भारत के मुसलमानों का विरोध

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की अपील पर देशभर के मुसलमान आज रात 9 बजे से 15 मिनट के लिए बिजली बंद करने का आह्वान कर रहे हैं।

इस प्रतीकात्मक विरोध को ‘बत्ती गुल’ अभियान के नाम से जाना जा रहा है, जिसका उद्देश्य 2025 के वक्फ़ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act 2025) के खिलाफ विरोध जताना है।

AIMPLB ने इस कानून को असंवैधानिक, अल्पसंख्यक विरोधी और इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ बताया है।

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वक्फ़ संशोधन अधिनियम 2025: विवाद का कारण

वक्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 में वक्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और सरकारी निगरानी बढ़ाने का प्रावधान शामिल है।

इसके विरोधियों का कहना है कि इस कानून से मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ेगा और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात पहुंचेगा।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और अन्य मुस्लिम संगठनों ने इस अधिनियम के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं।

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इन प्रदर्शनकारियों का दावा है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता को छीनने की कोशिश है और वक्फ संपत्तियों के असली मालिकों को उनके अधिकारों से वंचित करता है।

बत्ती गुल अभियान: विरोध का शांतिपूर्ण तरीका

बत्ती गुल अभियान में नागरिकों से अपील की गई है कि वे आज रात 9 बजे से 9:15 बजे तक अपने घरों, दुकानों और कार्यालयों की लाइटें बंद रखें।

AIMPLB का कहना है कि यह विरोध केवल धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय चिंता है। संगठन ने इस आंदोलन को डिजिटल माध्यमों के जरिए फैलाने की अपील भी की है और सोशल मीडिया पर इस अभियान से जुड़ी तस्वीरें, वीडियो और संदेश साझा करने की अपील की है।

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विरोध प्रदर्शन और रैलियां: देशभर में गूंज

देशभर के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 22 अप्रैल को AIMPLB ने नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ‘वक्फ़ बचाओ सम्मेलन’ आयोजित करने की घोषणा की है।

इसके अलावा, मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में इस अधिनियम के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं, और इस मामले पर 5 मई को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम आदेश आने की संभावना है।

एआईएमआईएम (AIMIM) ने हैदराबाद में बड़े पैमाने पर रैली आयोजित की थी, जिसमें पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अधिनियम को असंवैधानिक बताया।

Renowned liberal Islamic scholar and litterateur Padmashri Akhtarul Wase

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वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, इमारत-ए-शरिया और मुस्लिम यूथ एसोसिएशन जैसे संगठन भी कई शहरों में विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। कटक, ओडिशा, लुधियाना, पंजाब और कोयंबटूर, तमिलनाडु जैसे शहरों में भी मुसलमानों ने सड़कों पर उतरकर अपना विरोध जताया है।

वक्फ कानून पर सरकारी पक्ष

भारत सरकार का कहना है कि यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को रोकने के उद्देश्य से लाया गया है।

गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति केवल प्रशासनिक कार्यों के लिए होगी, धार्मिक मामलों में नहीं। सरकार का कहना है कि इस अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की बेहतर देखरेख करना है, न कि मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर किसी प्रकार का हमला करना।

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मुस्लिम संगठनों का विरोध और कानूनी लड़ाई

AIMPLB और अन्य मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन है।

इस अधिनियम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का उनका संकल्प मजबूत है। AIMPLB ने इस अधिनियम को अल्पसंख्यक विरोधी और असंवैधानिक बताते हुए इसके खिलाफ विरोध जारी रखने का ऐलान किया है।

कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में इस अधिनियम के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं।

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समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष आवाज़ों की प्रतिक्रिया

प्रख्यात उदार इस्लामी विद्वान साहित्यकार पदमश्री अख्तरुल वासे ने इस विरोध को लोकतांत्रिक तरीका बताया और कहा कि बत्ती गुल करना भारत में विरोध करने का एक शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीका है।

उन्होंने इसे एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा और इस कदम को सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का एक सशक्त तरीका बताया।

Aziz Burney, eminent Urdu journalist of India

वहीं, उर्दू पत्रकार अजीज बर्नी ने भी इस विरोध पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा है कि इस प्रकार के विरोध से न केवल मुस्लिम समुदाय को बल्कि पूरे देश को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता को बचाने का संदेश मिल रहा है।

बर्नी ने सुझाव दिया कि मुस्लिम संगठनों को अपनी बात रखने के लिए अन्य तरीकों का उपयोग करना चाहिए, ताकि यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी हो सके।

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वक्फ़ बचाओ: एक राष्ट्रीय चिंता

वक्फ़ बचाओ आंदोलन केवल धार्मिक मुद्दा नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय चिंता बन गई है। यह आंदोलन न केवल मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा के लिए है, बल्कि पूरे भारतीय संविधान और नागरिकों की स्वतंत्रता के लिए भी है।

AIMPLB ने इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं और समाजिक कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे इस आंदोलन का नेतृत्व करें और इसे लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्ण ढंग से फैलाएं।

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निष्कर्ष

वक्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 पर उठे विवाद और देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों से यह साफ है कि यह मुद्दा अब केवल एक धार्मिक और कानूनी मुद्दा नहीं रह गया है।

यह भारतीय संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है, जिसे सुलझाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

मुस्लिम संगठनों का कहना है कि इस अधिनियम से उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा, और वे इसे संविधान के खिलाफ मानते हैं। इस विरोध के बीच सरकार और मुस्लिम संगठनों के बीच संवाद और समझौते की आवश्यकता है, ताकि देश में शांति और समरसता बनी रहे।

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