Tuesday, July 29, 2025
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“शांति के चौधरी ट्रंप अपने ही देश में फेल! लॉस एंजिल्स जल रहा है, ट्रंप जी बस ट्वीट कर रहे हैं!”

Welcome to America – the land of freedom, fries, and now… fires!

“शांति का मसीहा या सत्ता का भ्रम? डोनाल्ड ट्रंप की ‘दुनिया को बचाने’ की नौटंकी, जबकि अमेरिका खुद जल रहा है!”

वाशिंगटन/लॉस एंजिल्स:
डोनाल्ड ट्रंप जब भी मंच पर आते हैं, तो खुद को शांति का मसीहा और दुनिया का सबसे असरदार नेता बताने से नहीं चूकते। लेकिन हकीकत ये है कि आज जब लॉस एंजिल्स जैसे अमेरिकी शहरों में आगजनी, दंगे और तनाव चरम पर हैं, तो वही ट्रंप न तो शांति ला पा रहे हैं और न ही हालात पर नियंत्रण।

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ट्रंप का दावा है कि वो भारत-पाकिस्तान, रूस-यूक्रेन और गाजा-इज़रायल जैसे लंबे संघर्षों को महज “24 घंटे में खत्म” कर सकते हैं। लेकिन विडंबना देखिए कि अमेरिका के अपने ही राज्यों में, खासकर कैलिफोर्निया में, हालात बेकाबू हो चुके हैं। लॉस एंजिल्स, कॉम्पटन, पैरामाउंट जैसे इलाकों में लगातार हिंसा और दंगे हो रहे हैं। हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं, पुलिस और नागरिक आमने-सामने हैं और ट्रंप प्रशासन के पास कोई स्पष्ट रणनीति नहीं है।

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ट्रंप बनाम कैलिफोर्निया सरकार

कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूज़ॉम ने ट्रंप की सैन्य介入 नीति को “तानाशाही” बताया है। उन्होंने कहा कि नेशनल गार्ड की तैनाती स्थिति को संभालने के बजाय और बिगाड़ रही है। लॉस एंजिल्स की मेयर करेन बास ने भी ट्रंप पर आरोप लगाया कि वह डर और सत्तावाद फैलाकर सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं।

ट्रंप प्रशासन ने बिना राज्य की अनुमति के 2000 सैनिकों को तैनात किया – जो 1965 के बाद पहली बार हुआ है। बावजूद इसके, हालात में कोई सुधार नहीं हुआ।

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अंतरराष्ट्रीय दावों की हकीकत क्या है?

जब भारत ने पाकिस्तान पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, तो ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर दावा किया कि यह युद्धविराम उनकी मध्यस्थता से संभव हुआ। भारत सरकार ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान की हार भारत की सैन्य रणनीति का नतीजा थी, न कि किसी विदेशी नेता की कृपा।

रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में ट्रंप लगातार दावा करते हैं कि वे इस युद्ध को चुटकियों में खत्म कर सकते हैं। लेकिन जब ज़ेलेंस्की से उनकी बातचीत असफल रही और ट्रंप को अपने ही बयानों से पीछे हटना पड़ा, तो उनकी “24 घंटे में युद्ध खत्म” वाली बात मज़ाक बनकर रह गई।

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गाजा में ‘रिवेरा योजना’ और सच्चाई

गाजा संकट को सुलझाने के नाम पर ट्रंप ने एक विवादित योजना पेश की — गाजा को ‘मध्य पूर्व का रिवेरा’ बनाने की बात। इसमें दो मिलियन फिलिस्तीनियों को जबरन दूसरी जगह बसाने का प्रस्ताव था। अरब देशों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि यह ज़मीनी हकीकत से कोसों दूर है।


ट्रंप की दोहरी नीति – अंदर टकराव, बाहर दावे

ट्जहां दुनिया को बातचीत का पाठ पढ़ाते हैं, वहीं अपने देश में विरोध करने वालों पर आँसू गैस और रबर की गोलियाँ चलवाते हैं। पत्रकारों तक को नहीं बख्शा गया – अमेरिकी पत्रकार लॉरेन टोमासी रबर बुलेट से घायल हो गईं।

ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति भी ‘दिखावे’ से ज़्यादा कुछ नहीं रही। वे खुद को नोबेल शांति पुरस्कार का दावेदार दिखाते हैं, लेकिन हर जगह विवाद और टकराव ही उनकी नीति रही है।

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निष्कर्ष:

डोनाल्ड ट्रंप की “चौधरी” बनने की चाहत और खुद को दुनिया का शांति दूत साबित करने की जिद, असल में एक ‘राजनीतिक नौटंकी’ से ज़्यादा कुछ नहीं दिखती। जब अपने ही देश में लोग सड़कों पर खून-खराबे के बीच जी रहे हों, तब किसी नेता का दूसरों के देश में शांति की बात करना सिर्फ पाखंड ही कहा जा सकता है।

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