अगर करते हैं ज्यादा क्रेडिट कार्ड खर्च, तो इनकम टैक्स विभाग की नजर में आ सकते हैं! जानिए किन ट्रांजैक्शन्स पर मिल सकता है नोटिस
अगर आप क्रेडिट कार्ड या बैंकिंग सेवाओं का भरपूर उपयोग करते हैं, तो सतर्क हो जाइए। इनकम टैक्स विभाग अब हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन्स पर बारीकी से नजर रखता है। ऐसे कई लेन-देन हैं जो विभाग की नजर में आने पर नोटिस का कारण बन सकते हैं। जानिए वो 6 बड़े फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन जिनसे आप इनकम टैक्स की रडार पर आ सकते हैं।
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1. सालाना ₹2 लाख से ज्यादा का क्रेडिट कार्ड खर्च
अगर आप एक साल में ₹2 लाख से ज्यादा का खर्च अपने क्रेडिट कार्ड से करते हैं, तो यह जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास पहुंच सकती है। खासकर अगर ये खर्च किसी लग्जरी या विदेशी प्रोडक्ट पर किया गया है, तो विभाग इसकी जांच कर सकता है।
2. ₹2 लाख से अधिक की विदेश यात्रा
विदेश यात्रा पर खर्च भी इनकम टैक्स की नजर से नहीं बचता। यदि आपने एक साल में ₹2 लाख या उससे अधिक विदेश यात्रा पर खर्च किया है, तो इसका रिकॉर्ड स्वचालित रूप से टैक्स विभाग के पास चला जाता है।
3. नकद में क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान
यदि आप ₹1 लाख या उससे अधिक की नकद राशि से क्रेडिट कार्ड का बिल भरते हैं, तो यह एक रेड फ्लैग हो सकता है। इनकम टैक्स विभाग इसे संदिग्ध मानकर जांच शुरू कर सकता है। जरूरत पड़ने पर आपको नोटिस भी भेजा जा सकता है।
4. ₹10 लाख से अधिक का निवेश म्यूचुअल फंड या शेयर में
शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड या बॉन्ड्स में सालाना ₹10 लाख या उससे ज्यादा निवेश करने पर आपकी जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को जाती है। अगर आपकी आय और निवेश में मेल नहीं बैठता, तो आपको नोटिस मिल सकता है।
5. ₹30 लाख से अधिक की प्रॉपर्टी खरीद
अगर आपने ₹30 लाख या उससे ज्यादा कीमत की कोई प्रॉपर्टी खरीदी है, तो इनकम टैक्स विभाग को इसकी सूचना स्वतः मिल जाती है। ऐसे मामलों में विभाग खरीद की फंडिंग को लेकर पूछताछ कर सकता है।
6. ₹10 लाख से अधिक का कैश डिपॉजिट
बैंक खाते में ₹10 लाख या उससे अधिक कैश डिपॉजिट करने पर अलर्ट जनरेट होता है। खासकर अगर यह रकम एक बार में या छोटे-छोटे हिस्सों में जमा की गई हो, तो भी जांच हो सकती है।
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क्या करें ताकि नोटिस से बचा जा सके?
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सभी बड़े ट्रांजैक्शन्स की जानकारी अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में दें।
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जितना संभव हो कैश लेन-देन से बचें।
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आय के स्रोत स्पष्ट रखें और जरूरी दस्तावेज अपने पास रखें।
निष्कर्ष
आज के डिजिटल दौर में इनकम टैक्स विभाग के पास हर बड़े ट्रांजैक्शन का डेटा होता है। ऐसे में पारदर्शी फाइनेंशियल बिहेवियर अपनाना ही समझदारी है। नहीं तो नोटिस, पेनल्टी और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।