सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब बहू को ससुराल की संपत्ति में मिलेगा ये बड़ा हक, 2006 का फैसला पलटा
नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बहुओं के अधिकारों को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिससे लाखों महिलाओं को राहत मिलेगी।
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कोर्ट ने साफ कहा है कि अब बहू को न केवल पति की संपत्ति में बल्कि सास-ससुर की साझा और पैतृक संपत्ति में भी रहने का कानूनी अधिकार प्राप्त होगा।
2006 के फैसले को पलटा
इस निर्णय के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में दिए गए अपने पुराने फैसले को भी पलट दिया है। पहले कोर्ट ने कहा था कि बहू को ससुराल की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है, लेकिन अब तीन जजों की बेंच ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बहू को साझा पारिवारिक घर से निकाला नहीं जा सकता।
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अब बहू को मिलेगा “सम्मान से रहने” का हक
सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत यह स्पष्ट किया कि यदि कोई महिला अपने पति द्वारा प्रताड़ित होती है, तो वह ससुराल के साझा घर में सुरक्षित रूप से रह सकती है।
इस फैसले में कोर्ट ने कहा,
“पति के माता-पिता की संपत्ति को बहू का वैवाहिक घर माना जाएगा और उसे वहाँ से जबरन निकाला नहीं जा सकता।“
बहू को ये मिलेंगे नए कानूनी अधिकार:
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✅ पति की स्वअर्जित संपत्ति में अधिकार
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✅ साझा रिहायशी घर में रहने का अधिकार
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✅ ससुराल की पैतृक संपत्ति में वैवाहिक घर के रूप में कानूनी सुरक्षा
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✅ घरेलू हिंसा के मामलों में कानूनी संरक्षण और स्थायी निवास का हक
क्यों है ये फैसला महिलाओं के लिए मील का पत्थर?
यह निर्णय न सिर्फ महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह उन महिलाओं के लिए आशा की किरण है, जिन्हें अक्सर शादी के बाद ससुराल में अधिकार विहीन समझा जाता है।
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अब कोई बहू सिर्फ इसलिए घर से बेदखल नहीं की जा सकती कि वह सास-ससुर की संपत्ति में रह रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पति के परिवार के घर में बहू को सम्मान और सुरक्षा मिलनी चाहिए।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बहुओं के लिए एक नई शुरुआत की तरह है। यह न केवल उन्हें आवासीय सुरक्षा देता है, बल्कि घरेलू हिंसा के खिलाफ कानूनी कवच भी प्रदान करता है।
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