Friday, April 18, 2025
HomeDesh-Videshशरबत में थूक सही, पर ‘शरबत जिहाद’ कहना गलत? रामदेव की खरी-खरी

शरबत में थूक सही, पर ‘शरबत जिहाद’ कहना गलत? रामदेव की खरी-खरी

‘शरबत जिहाद’ पर बवाल: बाबा रामदेव की टिप्पणी से मचा तूफान, क्या वाकई है इसके पीछे कोई साजिश?

क्या है ‘शरबत जिहाद’ विवाद?

योग गुरु बाबा रामदेव एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। इस बार मामला उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए एक नए शब्द “शरबत जिहाद” को लेकर है, जिसे लेकर इस्लामी कट्टरपंथियों का विरोध सामने आ रहा है। बाबा रामदेव ने पतंजलि के एक प्रचार वीडियो में कहा कि एक प्रसिद्ध शरबत बेचने वाली कंपनी अपने मुनाफे का हिस्सा मस्जिद और मदरसे बनाने में खर्च करती है।

Also Read This:- गूगल पर सर्च करें ये 7 शब्द, स्क्रीन में दिखेगा कमाल का जादू

उन्होंने कहा – “अगर आप वो शरबत पीते हैं, तो मस्जिदें बनेंगी, और अगर पतंजलि का शरबत पीते हैं, तो गुरुकुल और भारतीय शिक्षा का विकास होगा।”

पतंजलि का वीडियो और सोशल मीडिया पर हलचल

4 अप्रैल 2025 को पतंजलि प्रोडक्ट्स के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया गया, जिसमें कैप्शन था –

शरबत जिहाद और कोल्ड ड्रिंक के नाम पर बिक रहे टॉयलेट क्लीनर से अपने परिवार और बच्चों को बचाएँ। केवल पतंजलि के शरबत ही घर लाएँ।

वीडियो के वायरल होते ही फेसबुक पर 3.7 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया। कई लोग बाबा की खुलकर बोलने की सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ लोगों ने इसे धार्मिक भेदभाव बताकर विरोध जताया है।

विरोध का मोर्चा: जुबैर, हबीब और वाजिद की प्रतिक्रियाएँ

सोशल मीडिया पर ज़ुबैर, हबीब मसूद अल-अदरूस और वाजिद शेख जैसे इस्लामी समर्थक एक्टिविस्ट्स ने बाबा रामदेव पर हमला बोला। ज़ुबैर ने कहा:

“बाबा रामदेव घटिया शरबत बेचने के लिए हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेल रहे हैं।”

जबकि हबीब ने इस बयान को “धार्मिक ध्रुवीकरण” की कोशिश बताया।

‘थूक जिहाद’ और ‘पेशाब जिहाद’ पर क्यों मौन थे ये लोग?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो लोग आज ‘शरबत जिहाद’ शब्द पर बौखलाए हैं, उन्होंने तब क्यों चुप्पी साध ली जब थूक और पेशाब मिलाकर जूस बेचने के मामले सामने आए?

  • सितंबर 2024 में उत्तर प्रदेश के शामली जिले में जूस विक्रेता आसिफ का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह जूस में थूकता दिखा।

  • इससे पहले गाज़ियाबाद में एक विक्रेता पर पेशाब मिलाने का आरोप लगा और पुलिस ने मौके से पेशाब भरा कंटेनर बरामद भी किया।

इन मामलों में इन तथाकथित प्रगतिशीलों ने कभी आवाज़ नहीं उठाई, उल्टा ऐसे मामलों को उजागर करने वालों पर ही सवाल खड़े किए।

क्या वाकई ‘शरबत जिहाद’ एक मार्केटिंग रणनीति है?

बाबा रामदेव के समर्थकों का मानना है कि यह बयान बाज़ार में देशी उत्पादों को बढ़ावा देने की कोशिश है। वहीं आलोचकों का तर्क है कि इससे धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिल सकता है।

लेकिन असल सवाल यह है:

क्या हिंदुस्तान में अब सच बोलना भी ‘जुर्म’ बनता जा रहा है?

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments