Salary in Saudi: भारत में बेरोजगारी की मार झेल रहे लाखों युवा विदेश में नौकरी की तलाश में निकल पड़ते हैं. सऊदी अरब जैसे देशों में कमाई तो अच्छी होती है, लेकिन क्या यह वाकई वैसा ही सपना है जैसा हम सोचते हैं? चलिए समझते हैं सऊदी में मिलने वाली 10,000 रियाल की सैलरी का भारत में क्या मतलब है और इसके पीछे की असली सच्चाई क्या है।
10,000 सऊदी रियाल = भारत में ₹2.95 लाख! लेकिन…
आज के रेट के हिसाब से 1 सऊदी रियाल = ₹29.50 (लगभग).
यानि अगर कोई भारतीय सऊदी में 10,000 रियाल कमाता है, तो भारत में उसकी कीमत होती है करीब ₹2,95,000.
यह रकम सुनकर किसी का भी मन ललचा सकता है, लेकिन क्या ये कमाई सीधी बैंक अकाउंट में जाती है? नहीं!
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Salary in Saudi: कमाई जितनी बड़ी, खर्च भी उतना ही भारी
विदेशों में रहने, खाने, आने-जाने, रहने की परमिट, मेडिकल चेकअप, वीज़ा और एजेंट की फीस जैसी चीज़ों पर मोटा खर्च होता है. कई बार तो 10,000 रियाल कमाने वाले को महीने में 30-40 हजार रियाल तक खर्च भी उठाना पड़ता है, जो भारत लौटकर बस ₹1.5 लाख के आसपास ही बचत छोड़ता है.
क्या काम करते हैं भारतीय सऊदी में?
सऊदी अरब में जाने वाले भारतीय दो कैटेगरी में होते हैं:
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स्किल्ड वर्कर – इंजीनियर, डॉक्टर, नर्स, IT प्रोफेशनल्स
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लेबर क्लास – प्लंबर, वेल्डर, मिस्त्री, ड्राइवर, सिक्योरिटी गार्ड
लेबर क्लास लोगों की संख्या ज्यादा है, और यही लोग दिन-रात मेहनत कर अपने परिवार का पेट पालते हैं.
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Salary in Saudi: 12 घंटे की ड्यूटी, 50 डिग्री तापमान और परिवार से दूरी
सऊदी की गर्मी 50°C तक पहुंच जाती है. ऊपर से 12-14 घंटे की शिफ्ट और छुट्टी हफ्ते में सिर्फ एक.
बात यहीं खत्म नहीं होती – सालों तक अपनों से दूरी, त्योहारों में अकेलापन और किसी अपने के बीमार होने पर मदद न कर पाने का दर्द… ये सब कीमत चुकानी पड़ती है.
गांव के शमीम की कहानी – सपनों के पीछे संघर्ष
बिहार के एक गांव का शमीम, जब 5 साल बाद सऊदी से लौटा, तो उसके हाथ में था एक नया iPhone, ब्रांडेड कपड़े और जेब में गाड़ी की चाबी. मोहल्ले के लड़के उसे देख बोले – “भाई बाहर का सेटअप जमा लिया!”
पर कोई नहीं देखता कि इन चीजों के पीछे पसीना, धूप, तन्हाई और अपनों से जुदाई छिपी होती है.
Salary in Saudi: अंत में – विदेश जाना सिर्फ पैसा कमाना नहीं, बलिदान भी है
विदेश में नौकरी सिर्फ एक सैलरी स्लिप नहीं, वो कहानी है जो उम्मीद, मेहनत और बलिदान से लिखी जाती है.
जो लोग बाहर रहते हैं, वो सिर्फ अपने लिए नहीं – अपने परिवार के हर सपने को पूरा करने के लिए जीते हैं.