संभल जामा मस्जिद सर्वे पर मुस्लिम पक्ष को झटका, हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
न्यूज़ हाईलाइट्स:
- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संभल जामा मस्जिद के सर्वे पर रोक लगाने की मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज की।
- कोर्ट ने सिविल कोर्ट के मस्जिद के ASI सर्वे के आदेश को बरकरार रखा।
- हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद प्राचीन हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई है।
- अधिवक्ता हरिशंकर जैन और अन्य ने मंदिर के स्थान पर मस्जिद बनने का दावा किया है।
- कोर्ट का फैसला मस्जिद के ASI सर्वे का रास्ता साफ करता है।
- अब सभी की निगाहें ASI के सर्वे और उसके निष्कर्षों पर टिकी हैं।
- यह फैसला संभल के जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
इलाहाबाद: संभल की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद में आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दिया है।
कोर्ट ने मस्जिद कमेटी द्वारा दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है,
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जिसमें सिविल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत मस्जिद का पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI Survey) कराने का निर्देश दिया गया था। इस फैसले के बाद अब मस्जिद का ASI सर्वे किए जाने का रास्ता साफ हो गया है।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने मस्जिद कमेटी के वकील, मंदिर पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता हरिशंकर जैन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वकील की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया।
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कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की इस दलील को खारिज कर दिया कि निचली अदालत का सर्वे का आदेश सुनवाई योग्य नहीं है।
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब अधिवक्ता हरिशंकर जैन और सात अन्य लोगों ने दावा किया कि वर्तमान जामा मस्जिद वास्तव में एक प्राचीन हरिहर मंदिर के स्थान पर बनाई गई है।
हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष मौजूद हैं और वे मंदिर में पूजा-अर्चना का अधिकार चाहते हैं। इसी दावे के आधार पर उन्होंने सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिद का ASI सर्वे कराने की मांग की थी।
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संभल की सिविल कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए मस्जिद का ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था। इस आदेश को मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
कमेटी ने अपनी याचिका में सर्वे के आदेश को त्रुटिपूर्ण बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी।
इस मामले में पिछली सुनवाई 13 मई को हुई थी, जब ASI के वकील ने अपना जवाब दाखिल किया था। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी के वकील को इस पर प्रत्युत्तर दाखिल करने का समय दिया था और आज इस मामले में अपना फैसला सुनाया।
हाई कोर्ट के इस फैसले से हिंदू पक्ष में खुशी की लहर है, वहीं मुस्लिम पक्ष इसे निराशाजनक मान रहा है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि ASI कब मस्जिद का सर्वे शुरू करता है,
और इस सर्वेक्षण में क्या निष्कर्ष निकलते हैं। यह सर्वे इस विवाद को एक नई दिशा दे सकता है और यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है कि इस ऐतिहासिक स्थल का भविष्य क्या होगा।