Tuesday, May 20, 2025
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गाजी सालार मसूद की मजार पर भगवा झंडा: प्रयागराज में रामनवमी पर उबाल

रामनवमी पर प्रयागराज में गाज़ी सालार मसूद की मजार पर लहराया भगवा, गूंजा ‘जय श्री राम’: सुहेलदेव संगठन ने बताया ‘हिंदुओं का हत्यारा’

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), 6 अप्रैल 2025: रामनवमी के पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में ऐतिहासिक घटनाक्रम सामने आया, जब कथित आक्रांता गाजी सालार मसूद की मजार पर भगवा ध्वज लहराए गए। यह कार्रवाई ‘सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच’ से जुड़े कार्यकर्ताओं द्वारा की गई, जिन्होंने मजार को “हिंदुओं के हत्यारे का प्रतीक” बताते हुए इसे ध्वस्त करने की माँग की।

भगवा झंडे और जय श्री राम के नारों से गूंजा मजार परिसर

बताया गया है कि तीन युवक दीवार के सहारे चढ़कर मजार की छत पर पहुँचे और वहाँ भगवा ध्वज फहराए। इन ध्वजों पर ‘ॐ’ अंकित था। वहीं नीचे बड़ी संख्या में कार्यकर्ता हाथों में भगवा झंडे लिए मौजूद थे। इस दौरान ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगाए गए।

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इस कार्रवाई का नेतृत्व मनेंद्र प्रताप सिंह ने किया, जो खुद को भाजपा कार्यकर्ता और पूर्व में करणी सेना का प्रदेश अध्यक्ष बता चुके हैं। सिंह ने गाजी सालार मसूद को एक “क्रूर इस्लामी आक्रांता” बताया और कहा कि प्रयागराज जैसे तीर्थ स्थल पर ऐसे किसी हमलावर की मजार का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

संगठन की प्रशासन से माँग: दरगाह हटाओ, मंदिर और पार्क बनाओ

घटना के बाद कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी और एसपी को ज्ञापन सौंपकर मजार को अवैध घोषित करने की माँग की। उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर मजार स्थित है, वहाँ प्राचीन शिवकंद्रा महादेव और सती बड़े पुरुख का मंदिर था। संगठन ने वहाँ शिव-सती मंदिर और महाराज सुहेलदेव के नाम पर पार्क बनाए जाने की माँग भी रखी।

ज्ञापन में गाजी सालार मसूद पर महिलाओं के साथ झाड़-फूंक के नाम पर अभद्रता, हिंदुओं का धर्मांतरण और ज़मीनों पर अवैध कब्ज़े जैसे गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं।

पुलिस कार्रवाई और जांच

DCP कुलदीप गुणावत ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि वीडियो फुटेज के आधार पर जाँच की जा रही है और युवकों की पहचान कर गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। पुलिस के अनुसार, ये युवक शाम को भगवा झंडे लिए बाइक रैली निकालते हुए मजार स्थल पहुँचे थे।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी तेज़

घटना पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर “सांप्रदायिक राजनीति” करने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस प्रवक्ता हसीब अहमद ने इसे “सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश” बताया।

वहीं, ALT News के मोहम्मद जुबैर जैसे फैक्ट चेकरों ने इसे “दरगाह का अपमान” बताया, लेकिन कई लोगों ने इसे एक “क्रूर आक्रांता की कब्र” कहकर बचाव किया, और यह भी कहा कि यह मस्जिद नहीं, एक संरचनात्मक स्मृति है, जिसे पूजा स्थल की तरह मान्यता नहीं दी जा सकती।

कौन था गाजी सालार मसूद?

गाजी सालार मसूद, महमूद गजनवी का भांजा और इस्लामी सेनापति था, जिसने 11वीं शताब्दी में भारत पर हमले किए। इतिहासकारों के अनुसार, उसने कई हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया और व्यापक नरसंहार किए। 1026 ईस्वी में सोमनाथ मंदिर पर सबसे बड़ा हमला किया गया। बहराइच में उसे राजा सुहेलदेव के नेतृत्व में हिंदू राजाओं की संयुक्त सेना ने पराजित कर मार डाला।

नेजा मेले पर भी लग चुकी है रोक

योगी सरकार ने पहले ही गाजी मसूद से जुड़े नेजा मेलों पर रोक लगा दी है। प्रशासन का कहना है कि ऐसे मेलों के आयोजन से सांप्रदायिक तनाव बढ़ता है और इनका कोई धार्मिक आधार नहीं है।


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