Real Estate Housing Sale 2025: क्या रियल एस्टेट का बुलबुला फूट गया? बड़े शहरों में 19% घटी मकानों की बिक्री, जानिए वजह
By Onews.in | अप्रैल 2025 | रियल एस्टेट अपडेट
जनवरी-मार्च 2025 में रियल एस्टेट बाजार में बड़ी गिरावट
क्या भारत में रियल एस्टेट का सपना अब टूटता नजर आ रहा है? Real Insight Residential Q1 2025 रिपोर्ट के अनुसार, देश के टॉप 8 शहरों में मकानों की बिक्री में 19% की भारी गिरावट दर्ज की गई है। यही नहीं, नए मकानों की सप्लाई भी 10% घट गई है, जिससे साफ है कि रियल एस्टेट सेक्टर एक ठहराव के दौर से गुजर रहा है।
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दिल्ली, मुंबई, पुणे, हैदराबाद – सबसे ज्यादा असर
सबसे अधिक गिरावट मुंबई और हैदराबाद में देखने को मिली है, जहां बिक्री 26% तक घट गई। पुणे में 25% और दिल्ली-एनसीआर में 16% की गिरावट आई है।
शहर | Q1 25 बिक्री | YoY गिरावट |
---|---|---|
मुंबई | 30,705 | -26% |
हैदराबाद | 10,647 | -26% |
पुणे | 17,228 | -25% |
दिल्ली-NCR | 8,477 | -16% |
बेंगलुरु-चेन्नई में दिखी उम्मीद की किरण
जहां एक ओर बाकी शहरों में गिरावट है, वहीं बेंगलुरु में बिक्री 13% और चेन्नई में 8% बढ़ी है। यही नहीं, सप्लाई के मामले में भी बेंगलुरु और कोलकाता ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
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शहर | नई सप्लाई (YoY) |
---|---|
कोलकाता | +138% |
बेंगलुरु | +82% |
दिल्ली-NCR | +16% |
मकानों की कीमतें बनी बड़ी बाधा
विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बढ़ती हाउसिंग प्राइस और महंगा हो रहा होम लोन आम लोगों की पहुँच से घर को दूर कर रहा है। हाउसिंग डॉट कॉम के CEO ध्रुव अग्रवाल ने कहा,
“कीमतों में उछाल और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के चलते लोग अब निवेश को लेकर सतर्क हो गए हैं।“
रियल एस्टेट स्लोडाउन की 5 मुख्य वजहें
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मकानों की कीमतों में लगातार वृद्धि
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बढ़ती ब्याज दरें और महंगे होम लोन
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वैश्विक व्यापार युद्ध की अनिश्चितता
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शहरी बेरोजगारी और धीमी आय वृद्धि
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सप्लाई में संतुलन ना बनना
क्या घर खरीदने का ये सही समय है?
अगर आप घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो बाजार में कम मांग और ज्यादा विकल्पों की वजह से आपके पास नेगोशिएशन की बेहतर संभावना है। डेवलपर्स अब खरीदारों को आकर्षित करने के लिए ऑफर और छूट भी दे रहे हैं।
निष्कर्ष: रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अलार्म बेल?
2025 की पहली तिमाही के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर दबाव में है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार और डेवलपर्स कैसे इस संकट से निपटते हैं और क्या खरीदारों को फिर से भरोसा दिला पाते हैं?
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