Supreme court ने केंद्रीय सरकार के नोटबंदी फैसले को लेकर कही ये बड़ी बात……

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Supreme Court on Demonetisation

Supreme court ने नोटबंदी पर अपना फैसला आज सुना दिया है. कोर्ट ने 2016 की नोटबंदी को वैध करार दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने सभी 58 याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है. 4 जजों ने बहुमत से फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि 8 नवंबर, 2016 के नोटिफिकेशन में कोई त्रुटि नहीं मिली है. सभी सीरीज के नोट वापस लिए जा सकते हैं.

Supreme court ने नोटबंदी के फैसले को बताया सही

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी का फैसला लेते समय अपनाई गई प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी, इसलिए उस अधिसूचना को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है. कोर्ट ने ये भी कहा कि RBI को स्वतंत्र शक्ति नहीं कि वह बंद किए गए नोट को वापस लेने की तारीख बदल दे. वहीं कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार RBI की सिफारिश पर ही इस तरह का निर्णय ले सकती है.

‘निर्णय प्रक्रिया को गलत नहीं कहा जा सकता’

जजों ने ये भी कहा कि कोर्ट आर्थिक नीति पर बहुत सीमित दखल दे सकता है. जजों ने कहा कि केंद्र और आरबीआई के बीच 6 महीने तक चर्चा की गई थी, इसलिए निर्णय प्रक्रिया को गलत नहीं का जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “जहां तक लोगों को हुई दिक्कत का सवाल है, यहां यह देखने की जरूरत है कि उठाए गए कदम का उद्देश्य क्या था.”

एक जज की राय अलग

नोटबंदी को लेकर जस्टिस बीवी नागरत्न की राय अलग दिखाई दी. उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार के इशारे पर नोटों की सभी सीरीज का विमुद्रीकरण बैंक के विमुद्रीकरण की तुलना में कहीं अधिक गंभीर मुद्दा है. इसलिए, इसे पहले कार्यकारी अधिसूचना के माध्यम से और फिर कानून के माध्यम से किया जाना चाहिए.” उन्होंने आगे कहा कि धारा 26(2) के अनुसार, नोटबंदी का प्रस्ताव आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड से आएगा.

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जस्टिस बीआर गवई ने कही ये बात

बहुमत के फैसले को पढ़ते हुए जस्टि बीआर गवई ने कहा कि नोटबंदी का उन उद्देश्यों (कालाबाजारी, आतंकवाद के वित्तपोषण को समाप्त करना आदि) के साथ एक उचित संबंध था जिसे प्राप्त करने की मांग की गई थी. उन्होंने कहा कि यह प्रासंगिक नहीं है कि उद्देश्य हासिल किया गया था या नहीं. पीठ ने आगे कहा कि नोटों को बदलने के लिए 52 दिनों की निर्धारित अवधि को अनुचित नहीं कहा जा सकता है.

पीठ ने आगे कहा कि धारा 26 (2) आरबीआई अधिनियम, जो केंद्र को किसी भी मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की किसी भी सीरीज को बंद करने का अधिकार देता है, का उपयोग नोटबंदी के लिए किया जा सकता है.