Jawaharlal Nehru

Jawaharlal Nehru: आज के इस आर्टिकल में हम कश्मीर की बात करेंगे। आज हम आपको उन तारीखों के बारे में भी बताएंगे जिसकी वजह से कश्मीर का भविष्य तय हुआ था। आपको बता दें कि 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर का भारत में विलय हुआ था। 27 अक्टूबर को कश्मीर को बचाने के लिए भारतीय सेना श्रीनगर पहुंची थी। इस दिन को इन्फेंट्री डे के रूप में मनाया जाता है। कश्मीर मामले में उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कुछ ऐसी गलतियां की थी जिसकी सजा आज भी देश भुगत रहा है।

Jawaharlal Nehru: 22 अक्टूबर को घुसा 5000 कबायलियों से भरा 200-300 ट्रक

बता दें की 22 अक्टूबर को 200-300 के करीब ट्रक भर के 5000 कबायलियों की फौज कश्मीर (kashmir) पहुंच गई थी। इन कबायलियों की अगुवाई से पाकिस्तान सेना कर रहे थे जो उसे समय लीव पर थे। तत्कालीन गृह सचिव वीपी मेनन ने अपनी किताब “the story of integration of the Indian states” में लिखा कि ये कबायलि एक के बाद एक इलाके में कब्जा कर रहे थे। 24 अक्टूबर को वे श्री नगर के करीब पहुंच गए थे। वे वहां के पावर हाउस पहुंचे और उसे बंद कर दिया जिससे पूरा श्रीनगर अंधकारमय हो गया। इनका कबायलियों का कहना था कि वे श्रीनगर पर कब्जा करेंगे और यहां के मस्जिद में ईद मनाएंगे।

Jawaharlal Nehru: 22 अक्टूबर को यह घुसपैठिए पाकिस्तान से भेजे गए थे। 24 अक्टूबर को भारत सरकार को इस बात की सूचना मिली। महाराजा हरि सिंह ने फौरन भारत सरकार से मदद की अपील की। भारत सरकार को यह सूचना दी गई कि हमलावर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। और तबाही मचा रहे हैं। 25 अक्टूबर को लॉर्ड माउंटबेटन की अध्यक्षता में डिफेंस कमेटी की बैठक हुई। इस कमेटी ने महाराजा हरि सिंह की मदद की अपील को मंजूरी दी और सेना भेजने पर चर्चा की गई।

लॉर्ड माउंटबेटन यह साफ किया कि भारतीय सेना तब तक एक्शन नहीं लेगी जब तक भारत सरकार के पास सारी जानकारी नहीं पहुंचाती जाती। मामले की जांच के लिए तत्कालीन गृह सचिव बीपी मेनन को कश्मीर भेजा गया। उन्होंने कहा की हालत बहुत खराब है। उसके बाद 26 अक्टूबर को ब्रिटिश और भारतीय अधिकारियों ने तय किया कि कैसे एक्शन लेना है। और फिर विलय की दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया गया। और 27 अक्टूबर को सेना भेजी गई। यदि सेना भेजने में इतनी देरी नहीं होती तो बात कुछ और होती।

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By O News