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Sunday, September 8, 2024

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BEd News: बीएड धारकों के लिए बड़ी खबर,अब इतने साल वाले डिग्री की रहेगी मान्यता !

पूरे देश में 2 साल का स्पेशल BEd कोर्स बंद किया गया। आगामी सत्र से इसकी कोई मान्यता नहीं होगी। अब सिर्फ़ 4 साल का स्पेशल कोर्स ही होगा जो मान्य होगा।

भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) ने दो वर्षीय स्पेशल बीएड कोर्स को लेकर नोटिस जारी कर दिया है।
अगले शैक्षणिक सत्र 2024-2025 से सिर्फ चार वर्षीय स्पेशल बीएड कोर्स को ही मान्यता मिलेगी।बता दें कि, आरसीआई ही देश भर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में कराए जा रहे स्पेशल बीएड कोर्स को मान्यता देती है। आरसीआई ने अपने सर्कुलर में साफ तौर पर स्पष्ट कर दिया है।पूरे देश में ऐसे करीब 1000 संस्थान तथा विश्वविद्यालय हैं, जहाँ यह कोर्स कराया जाता है।

आरसीआई के सचिव ने दी ये जानकारी:

 

भारतीय पुनर्वास परिषद आरसीआई के सचिव विकास त्रिवेदी की ओर से जारी सर्कुलर में बताया गया है कि एनसीटीई ने नई शैक्षणिक नीति (एनईपी) 2020 के तहत इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम (आईटीईपी) में चार वर्षीय बीएड कार्यक्रम का प्रावधान रखा है। इसके अनुसार आरसीआई ने भी चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम को ही संचालित किए जाने का फैसला लिया है।अगले सत्र से आरसीआई की ओर से सिर्फ चार वर्षीय बीएड (विशेष शिक्षा) पाठ्यक्रम को ही मान्यता दी जाएगी।

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क्या होता है स्पेशल बीएड कोर्स?

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दरअसल, स्पेशल बीएड कोर्स में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है। दिव्यांग बच्चों की विशेष तरह की जरूरतों को ध्यान में रखकर ही इस कोर्स में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें सुनने, बोलने व अक्षमता, दृष्टि बाधित, मानसिक विकलांगता आदि दिव्यांगों के लिए सिलेबस का संचालन किया जाता है। आरसीआई ने कहा है कि जो भी संस्थान चार साल का इंटीग्रेटेड बीएड स्पेशल एजुकेशन कोर्स (एनसीटीई के चार वर्षीय आईटीईपी कोर्स की तरह) करवाना चाहते हैं, वे अगले अकादमिक सत्र के लिए आवेदन कर सकेंगे।

बताया जा रहा है कि एनसीटीई स्पेशल बीएड (Bed)  इंटीग्रेटेड कोर्स का नया सिलेबस तैयार कर रही है। इस कोर्स को आरसीआई लागू करेगी। एनसीटीई का सिलेबस स्पेशल छात्रों की जरूरतों के अनुरूप ही डिजाइन किया जा रहा है। इस संबंध में लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. यशवंत वीरोदय का कहना है कि दो वर्षीय बीएड (विशेष शिक्षा) पाठ्यक्रम के भविष्य को लेकर विचार किया जाएगा।

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