Friday, April 18, 2025
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नासिक दरगाह विवाद: पथराव के बाद चला बुलडोजर, 31 पुलिसकर्मी घायल, गरमाई सियासत

नासिक दरगाह विवाद: आधी रात को पथराव, सुबह चला बुलडोज़र, सियासत में मचा भूचाल

नासिक, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के नासिक में सतपीर दरगाह को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद बुधवार सुबह अचानक अपने चरम पर पहुंच गया, जब भारी पुलिस बल की मौजूदगी में नगर निगम ने विवादित दरगाह को ढहा दिया। इस कार्रवाई से ठीक पहले मंगलवार रात शहर हिंसा की आग में झुलस गया — अंधेरे में पथराव, पुलिस पर हमले और फिर तड़के बुलडोजर की गरज।

क्या है पूरा मामला?

1 अप्रैल को नासिक नगर निगम ने दरगाह ट्रस्ट को अवैध निर्माण हटाने का नोटिस जारी किया था। 15 दिन की डेडलाइन के बावजूद जब कार्रवाई नहीं हुई, तो निगम की टीम मंगलवार देर रात पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंची। लेकिन कार्रवाई से पहले ही इलाके की बिजली काट दी गई और पुलिस पर अंधेरे में पथराव शुरू हो गया।

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नासिक दरगाह विवाद: पथराव में घायल हुए 31 पुलिसकर्मी

रात 11 बजे हुई इस हिंसक झड़प में 31 पुलिसकर्मी घायल हुए। स्थिति को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए। हालात बेकाबू होते देख अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया और अंततः सुबह 5:30 बजे कार्रवाई दोबारा शुरू हुई।

कठे गली की सतपीर दरगाह पर चला बुलडोज़र

सुबह 10 बजे तक पूरी दरगाह को गिरा दिया गया। इलाके में फिलहाल धारा 144 लागू है और भारी पुलिस बल मौजूद है। पुलिस ने अब तक हिंसा में शामिल 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और 57 दोपहिया वाहन जब्त किए गए हैं।

नासिक दरगाह विवाद: राजनीति गर्माई: BJP और शिवसेना आमने-सामने

BJP ने बताया “हिंदुत्व की जीत”

भाजपा आध्यात्मिक गठबंधन प्रमुख आचार्य तुषार भोसले ने इस कार्रवाई को वक्फ संशोधन कानून की सख्ती का प्रतीक बताते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बधाई दी। उन्होंने इसे “हिंदुत्ववादी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति” करार दिया।

शिवसेना (UBT) का पलटवार

वहीं, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा —

“आज हमारी नासिक में बड़ी रैली थी, लोगों का ध्यान भटकाने के लिए जानबूझकर आज ही यह कार्रवाई की गई। यह एक सोची-समझी रणनीति है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी ही जानती है कि दंगे कब और कहां कराने हैं।


नासिक दरगाह विवाद: सवाल जो उठ रहे हैं:

  • क्या दरगाह गिराने की कार्रवाई वास्तव में सिर्फ “अवैध निर्माण” हटाने तक सीमित थी?

  • क्या यह मुद्दा एक बड़े राजनीतिक ‘डाइवर्जन प्लान’ का हिस्सा था?

  • और सबसे अहम — क्या महाराष्ट्र में ऐसे विवाद अब चुनावी हथियार बनते जा रहे हैं?


निष्कर्ष:

नासिक का यह विवाद अब केवल प्रशासनिक मामला नहीं रहा। यह अब धर्म, राजनीति और जनभावनाओं का ज्वालामुखी बन चुका है। बुलडोजर से ढही एक दरगाह, लेकिन इसके मलबे से कई सियासी सवाल निकल चुके हैं — जिनका जवाब वक्त ही देगा।


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