Saturday, July 19, 2025
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“इस्लामपुर बना ईश्वरपुर: महाराष्ट्र में नाम बदलने की राजनीति गरमाई | सांस्कृतिक पुनर्जागरण या वोटबैंक?”

"Islampur Renamed as Eeshwarpur: Maharashtra Follows UP's Lead Amid Cultural and Political Controversy"

“इस्लामपुर बना ईश्वरपुर: महाराष्ट्र में नाम बदलने की राजनीति या सांस्कृतिक पुनर्जागरण?”

मुंबई/सांगली
महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सांगली जिले के इस्लामपुर कस्बे का नाम आधिकारिक तौर पर बदलकर अब “ईश्वरपुर” कर दिया है। इस फैसले की घोषणा शुक्रवार को विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन की गई। यह कदम हिंदुत्ववादी संगठन ‘शिव प्रतिष्ठान’ की ओर से भेजे गए ज्ञापन के बाद उठाया गया, जिसमें कस्बे के “मूल सांस्कृतिक नाम” की बहाली की मांग की गई थी।

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नाम बदलने की लहर अब महाराष्ट्र में भी तेज

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अब महाराष्ट्र में भी जिलों और शहरों के नामों में बदलाव की राजनीति तेज हो रही है। अतीत में यूपी में इलाहाबाद से प्रयागराज और मुगलसराय से पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर जैसे बदलाव देखने को मिले थे। अब महाराष्ट्र में भी इसी दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है, जिससे राजनीतिक और धार्मिक बहसें गरमा गई हैं।

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पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस फैसले को “सांस्कृतिक पुनर्जागरण” का नाम दिया है। उनके मुताबिक, यह एक ऐतिहासिक पहचान को फिर से स्थापित करने की दिशा में साहसी कदम है।

वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस विधायक असलम शेख और विजय वडेट्टीवार जैसे नेताओं ने इस निर्णय की तीखी आलोचना की है।
असलम शेख का कहना है –

“नाम बदलने से लोगों के जीवन में कोई सुधार नहीं होने वाला। सरकार को बुनियादी जरूरतों जैसे सड़क, पानी और स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए, ना कि प्रतीकों की राजनीति पर।”

इस्लामपुर बना ईश्वरपुर onews.in
इस्लामपुर बना ईश्वरपुर onews.in

वडेट्टीवार ने तो यहाँ तक कह दिया कि –

“यह सिर्फ वोट बैंक के लिए धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास है। क्या नाम बदलने से बेरोजगारी मिटेगी? क्या इससे शिक्षा या स्वास्थ्य सुधरेगा?”


क्या है इस्लामपुर का इतिहास?

इतिहासकारों के मुताबिक इस्लामपुर का नाम मुगल काल में रखा गया था, जबकि क्षेत्र की प्राचीन पहचान एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में रही है। शिव प्रतिष्ठान और स्थानीय संगठन लंबे समय से नाम परिवर्तन की मांग कर रहे थे। उनके अनुसार ‘ईश्वरपुर’ नाम इस क्षेत्र की असली पहचान है जो संस्कृति और सनातन मूल्यों को दर्शाता है।

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निष्कर्ष:

इस्लामपुर से ईश्वरपुर नाम बदलना सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि यह एक बड़ी राजनीतिक और वैचारिक बहस की शुरुआत है। जहां एक पक्ष इसे गौरवपूर्ण वापसी मान रहा है, वहीं दूसरा इसे धार्मिक ध्रुवीकरण की चाल बता रहा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह फैसला चुनाव में किस रूप में असर दिखाता है।

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