Monday, June 16, 2025
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India-Pakistan Ceasefire: चीन की साजिश नाकाम, अमेरिका ने बचाया भारत का कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चा

China's strategy fails as U.S. mediates India-Pakistan ceasefire, protecting India's diplomatic and economic front.

India-Pakistan Ceasefire: चीन की चाल पर फिरा पानी, अमेरिका ने बढ़ाया भारत का कूटनीतिक कद

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष विराम से न सिर्फ सीमा पर तनाव कम हुआ है, बल्कि इससे अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक संतुलन पर भी बड़ा असर पड़ा है। खासकर चीन के लिए यह एक बड़ा झटका है, जो लंबे समय से दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को विस्तार देने की फिराक में था। लेकिन अमेरिका ने समय रहते मध्यस्थता कर चीन की रणनीति पर पानी फेर दिया।

चीन की दक्षिण एशिया में दखल की कोशिश नाकाम

चीन लगातार भारत-पाक तनाव का फायदा उठाकर इस क्षेत्र में एक “मध्यस्थ शक्ति” बनने की कोशिश करता रहा है। उसका मकसद सिर्फ राजनीतिक दखल नहीं, बल्कि आर्थिक वर्चस्व भी बढ़ाना है। पाकिस्तान में चीन पहले से ही चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के जरिए अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है। अगर भारत-पाक युद्ध जैसे हालात बनते, तो चीन को और गहरी पैठ बनाने का अवसर मिल जाता।

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India-Pakistan Ceasefire: अमेरिका की सक्रियता ने रोकी चीनी चाल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तुरंत हस्तक्षेप कर भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की पहल की, जिससे यह संकट बड़े युद्ध में तब्दील होने से बच गया। इससे एक तरफ भारत को राहत मिली, वहीं चीन को दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को बढ़ाने का मौका भी नहीं मिला। ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका इस क्षेत्र में स्थिरता चाहता है, न कि चीनी विस्तारवाद।

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सीजफायर से भारत को आर्थिक मोर्चे पर राहत

सीमा पर तनाव के कारण निवेशकों की चिंता बढ़ जाती है। लेकिन इस बार जैसे ही सीजफायर की घोषणा हुई, भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता लौट आई। निफ्टी 50 में मजबूती देखी गई और विदेशी निवेशकों ने फिर से भारतीय शेयरों की खरीदारी शुरू कर दी। अप्रैल और मई की शुरुआत में लगभग 1.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया।

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विशेषज्ञों का मानना है कि अगर युद्ध जैसी स्थिति बनती, तो भारत में निवेश का माहौल प्रभावित होता और चीन को इसका सीधा फायदा मिलता। लेकिन अब जबकि संघर्ष रुक गया है, भारत फिर से विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

भारत बना चीन का सबसे बड़ा क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी

भारत की तेज़ आर्थिक रफ्तार चीन को खटकती है। 6.5% की विकास दर के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। भारत न केवल वैश्विक कंपनियों के लिए “चीन के विकल्प” के रूप में उभरा है, बल्कि अपने मजबूत लोकतांत्रिक ढांचे और स्थिर सरकार के कारण भी विदेशी निवेशकों का भरोसा जीत रहा है।

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चीन जानता है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, तो भारत का ध्यान आंतरिक विकास से हटेगा। लेकिन अब जबकि हालात नियंत्रण में हैं, भारत का फोकस व्यापार समझौतों और आर्थिक सुधारों पर है।

India-Pakistan Ceasefire: सीजफायर से भारत को कूटनीतिक बढ़त

सीजफायर से भारत ने न सिर्फ युद्ध की संभावना को टाला, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक जिम्मेदार और संतुलित राष्ट्र के रूप में खुद को पेश किया है। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भारत के साथ व्यापार समझौतों को लेकर गंभीर हैं, और यह संकेत दे रहे हैं कि भारत अब वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है।


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