चार साल में दोगुना हुआ भारत का गोल्ड रिजर्व: पाकिस्तान से टकराव हो या वैश्विक मंदी, अब भारत पहले से ज्यादा तैयार!
नई दिल्ली,
क्या हो अगर पाकिस्तान से जंग छिड़ जाए? या अमेरिका में मंदी का तूफान पूरी दुनिया को हिला दे? भारत ने खुद को इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक ऐसी ‘पावर’ से लैस किया है, जो सदी पुरानी है – ‘सोना’!
भारत ने बीते चार वर्षों में अपनी सबसे सुरक्षित संपत्ति – गोल्ड रिजर्व – को दोगुना कर लिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2025 तक देश के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़कर 11.70% हो गई है। यह सितंबर 2024 में 9.32% और मार्च 2021 में मात्र 5.87% थी।
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क्यों बढ़ाया गया गोल्ड रिजर्व?
RBI का यह कदम केवल निवेश का मामला नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है। गोल्ड रिजर्व में बढ़ोतरी से भारत को:
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वैश्विक आर्थिक संकट में स्थिरता मिलती है
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युद्ध या आपातकालीन स्थिति में विदेशी भुगतान करने में सुविधा होती है
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डॉलर या अन्य मुद्राओं में उतार-चढ़ाव का असर कम होता है
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निवेशकों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के बीच विश्वास मजबूत होता है
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कितना सोना है भारत के पास?
मार्च 2025 के अंत तक भारत के पास कुल 879.59 टन सोना है। इसमें से:
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511.99 टन सोना देश में सुरक्षित है
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348.62 टन सोना लंदन के बैंक ऑफ इंग्लैंड और BIS में जमा है
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18.98 टन सोना गोल्ड डिपॉजिट के रूप में है
पाकिस्तान से युद्ध की स्थिति में कैसे काम आएगा यह सोना?
अगर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी कोई स्थिति बनती है, तो यह गोल्ड रिजर्व भारत की आर्थिक ढाल बनकर सामने आएगा। सोना एक ग्लोबली एक्सेप्टेड एसेट है। युद्ध के समय जब विदेशी करेंसी में दिक्कत हो, तब यही सोना अंतरराष्ट्रीय लेन-देन और जरूरी रक्षा आयात के लिए सहारा बन सकता है।
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दुनिया के दूसरे देश भी कर रहे हैं यही
केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अब तेजी से सोना खरीद रहे हैं। अमेरिका, चीन, रूस, तुर्की जैसे देश वैश्विक बाजार की अनिश्चितता को देखते हुए गोल्ड रिजर्व को प्राथमिकता दे रहे हैं।
भारत की रणनीति क्या दिखाती है?
India का बढ़ता हुआ गोल्ड रिजर्व इस बात का संकेत है कि देश मजबूत आर्थिक किलेबंदी कर रहा है। आरबीआई की यह नीति बताती है कि भारत अब केवल आयात-निर्यात या विदेशी निवेश पर नहीं, बल्कि अंदरूनी मजबूती पर भी फोकस कर रहा है।

निष्कर्ष:
भारत का बढ़ता हुआ सोना केवल एक धातु नहीं, बल्कि एक रणनीतिक हथियार है। चाहे पाकिस्तान से सीमा पर तनाव हो या वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही हो – भारत की आर्थिक नींव पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है।
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