नई दिल्ली: रमजान के पवित्र महीने के दौरान सोशल मीडिया पर एक विवादास्पद संदेश वायरल हो रहा है, जिसमें मुस्लिम समुदाय से हिंदू दुकानदारों से इफ्तार सामग्री न खरीदने की अपील की गई है। यह संदेश न केवल समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहा है, बल्कि भारत की गंगा-जमुनी तहजीब पर भी प्रहार कर रहा है।
वायरल संदेश का असर और प्रतिक्रिया
इस संदेश में दावा किया गया है कि हिंदू दुकानदार “नफरत में कुछ भी खिला सकते हैं,” जिससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। इस बयान पर सोशल मीडिया यूजर्स ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कई लोगों ने इसे समाज में नफरत फैलाने वाला और भारत की बहुलतावादी संस्कृति के खिलाफ बताया है।
धार्मिक विद्वानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज के नेताओं ने इस संदेश की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि रमजान का महीना प्रेम, करुणा और भाईचारे का प्रतीक है, न कि विभाजन का। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी इस तरह की अफवाहों से बचने और सभी समुदायों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की अपील की है।
फर्जी सूचनाओं से सतर्क रहने की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना कोई नई नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया पर इस तरह के कई भ्रामक संदेश वायरल होते रहे हैं, जिनका उद्देश्य सांप्रदायिक तनाव भड़काना है। ऐसे में लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है और बिना पुष्टि किए किसी भी संदेश को साझा करने से बचना चाहिए।
भारत की विविधता में एकता ही असली ताकत
भारत एक ऐसा देश है, जहां विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं के लोग एक साथ रहते हैं। त्योहार और पर्व सभी समुदायों को जोड़ने का काम करते हैं। रमजान भी ऐसा ही एक अवसर है, जो प्रेम, दया और एकता का संदेश देता है।
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निष्कर्ष
सोशल मीडिया पर फैलने वाले विभाजनकारी संदेशों से सतर्क रहना जरूरी है। हमें एकता और सद्भाव को बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और किसी भी तरह की नफरत फैलाने वाली अफवाहों से बचना चाहिए। रमजान भाईचारे और प्रेम का महीना है, और हमें इसे नफरत नहीं, बल्कि सौहार्द से मनाना चाहिए।