“पाकिस्तान में मेरी शादी करा दो…”: यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा और ISI अफसर हसन अली की वाट्सऐप चैट ने मचाया बवाल
नई दिल्ली | ओन्यूज़ हिंदी — हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। इस बार मामला सिर्फ सोशल मीडिया पॉपुलैरिटी तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और पाकिस्तान से संदिग्ध संबंधों तक पहुंच चुका है। ज्योति की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े अफसर हसन अली के साथ वाट्सऐप चैट सामने आई है, जिसमें वो कहती हैं – “तो मेरी शादी पाकिस्तान में करवा दो।”
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सोशल मीडिया की भूख या राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़?
सूत्रों के अनुसार, ज्योति मल्होत्रा ने सोशल मीडिया पर फेमस होने के लिए पाकिस्तान यात्रा की और वहीं उसकी मुलाकात हसन अली से हुई। हसन ने न केवल उन्हें VIP ट्रीटमेंट दिया बल्कि पाकिस्तानी यूट्यूबर्स से भी मिलवाया। पुलिस की मानें तो ज्योति ने अपनी चैट में कई बार संवेदनशील जानकारियाँ साझा की हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद गंभीर हैं।
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सामने आई वाट्सऐप चैट: प्यार या प्लान?
हसन अली ने वाट्सऐप पर लिखा —
“जो यार, मेरे दिल से दुआ निकलती है कि हमेशा आप खुश रहो…”
इसके जवाब में ज्योति ने लिखा —
“तो मेरी शादी पाकिस्तान में करवा दो।” 😄
हालांकि यह चैट हास्यपूर्ण प्रतीत होती है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने इसे हल्के में नहीं लिया। माना जा रहा है कि ज्योति पाकिस्तानी यूट्यूबर से शादी कर सोशल मीडिया में तेज़ी से फेम पाने की योजना बना रही थीं।
कबूलनामे में बड़ा खुलासा
ज्योति ने पुलिस पूछताछ में माना कि वह वाट्सऐप, टेलीग्राम, स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म पर पाकिस्तानी नागरिकों से नियमित संपर्क में थी। उसने यह भी स्वीकार किया कि वह कई बार दिल्ली स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में दानिश नामक अधिकारी से मिलने गई थी, जो पहले से ISI से जुड़ा माना जा रहा है।
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बैंक ट्रांजेक्शन और दुबई कनेक्शन
पुलिस जांच में ज्योति के चार बैंक अकाउंट की जानकारी सामने आई है, जिनमें से कुछ में दुबई से संदिग्ध ट्रांजेक्शन पाए गए हैं। एजेंसियां अब यह पता लगा रही हैं कि ये पैसे किसके भेजे गए और क्या इसका संबंध किसी जासूसी नेटवर्क या विदेशी फंडिंग से है।
निष्कर्ष: क्या सिर्फ एक यूट्यूब फेम के लिए देश से गद्दारी?
ज्योति मल्होत्रा का यह मामला सिर्फ एक यूट्यूबर के शॉर्टकट्स और सोशल मीडिया की लालसा तक सीमित नहीं, बल्कि यह भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चेतावनी भी है। जब सोशल मीडिया के जरिए विदेशी एजेंसियां युवाओं को प्रभावित कर सकती हैं, तो यह डिजिटल सुरक्षा नीति पर भी सवाल खड़ा करता है।