17.6 C
New York
Sunday, September 8, 2024

Buy now

देसी गाय के गोबर से बनाया वातानुकूलित घर, सीमेंट के घर से 7 गुना कम खर्चा – देखें वीडियो

आप ऐसा घर बनाने के बारे में सोच रहें हैं जिसमें आपको एसी न लगाना पड़े तो, आपके रोल मॉडल हरियाणा के डॉक्टर शिवदर्शन मालिक हो सकते हैं। इन्होंने वैदिक प्लास्टर का इजाद किया है जो देशी गाय के गोबर से बनता है। जिसे आप घरों के प्रयोग में ला सकते हैं और आपको उन घरों में एसी लगाने की जरूरत भी नही पड़ेगी। आइए आपको इसके बारे में और जानकारी देते हैं।

छावला द्वारका दिल्ली के रहने वाले दया किशन शौकीन ने डेढ़ साल पहले गाय के गोबर से बने वैदिक प्लास्टर से घर बनवाया था। उन्होंने बताया इसके खर्च अन्य पक्के मुकाबले 6 से 7 गुना कम आता है। इसका खर्च 10 रुपए प्रति स्क्वायर फुट आता है। यह इतना आरामदायक है कि जब गर्मियों में इसमें एसी लगाने की जरूरत नहीं पड़ती जबकि बाहर का तापमान 40 डिग्री से ज्यादा होता है तब घर के अंदर का 28 से 30 डिग्री के बीच रहता है।

दया किशन बताते हैं कि इन घर के जितने फायदे बताए जाए उतने कम है, गर्मियों में घरों में एसी लगाने की आवश्यकता नहीं होती जिससे बिजली की बचत होती है और घर का फर्श इतना ठंडा रहता है कि नंगे पैर चलने पर शरीर का तापमान भी बराबर बना रहता है इस तरीके के घर शहर में भी आसानी से बनाए जा सकते हैं कच्ची मिट्टी और गाय के गोबर की मदद से।

भारत मे अभी तक 300 से ज्यादा लोग वैदिक प्लास्टर से घर बना चुके हैं। समय के साथ कच्ची मिट्टी के घर व्यवहारिक नहीं है लेकिन पुराने जमाने में इसी तरह के घरों का प्रयोग किया जाता था जो गर्मियों में सर्दी और सर्दियों में गर्मी से राहत देते थे। कच्ची मिट्टी के घरों में ऊष्मा को रोकने की एक बेजोड़ ताकत थी।

इसके बाद रोहतक के रहने वाले डॉक्टर शिव दर्शन मलिक ने इस पर और ज्यादा गहन शोध किया और वैदिक प्लास्टर का निर्माण किया जो गाय के गोबर और कच्ची मिट्टी से बनता है जो सस्ता होने के साथ-साथ गर्मियों में घरों को ठंडा रखता है और सर्दियों में घरों को गर्म रखता है। डॉक्टर शिव दर्शन आईआईटी दिल्ली से पढ़े लिखे हुए और उन्होंने वर्ल्ड बैंक में भी अपनी सेवा एक सलाहकार के तौर पर दी हुई हैं कुछ वर्षों तक भारतवर्ष का भ्रमण करने के दौरान उन्हें पक्के और कच्चे घरों में फर्क पहचाना और उन पर शोध करके वैदिक प्लास्टर का निर्माण किया।

2005 में वैदिक प्लास्टर को बनाने वाले शिव दर्शन मलिक कहते हैं कि समय के साथ हम प्रकृति से दूर हो गए हैं हम जितना प्रकृति के पास रहते हैं उतना ही ज्यादा हमें फायदा पहुंचता है क्योंकि जब से हमारे घरों में गोबर का प्रयोग कम हुआ है घर में कीटनाशक, कीट पतंगे और कई तरह की अन्य बीमारियों ने भी हमारे घर में शरण बना ली है। जोकि पुराने जमाने में ऐसा नह होता था। गाय के गोबर में ऐसे लवण पाए जाते हैं जो घर की हवा को भी शुद्ध रखते हैं और छोटे जीवो, कितपतंगो आदि को घर से दूर रखते हैं। और इसी के तर्ज पर वैदिक प्लास्टर में गाय के गोबर का इस्तेमाल किया गया।

डॉक्टर मलिक बताते हैं कि हमारे देश में करीब करीब 30 लाख टन से ज्यादा प्रतिदिन गोबर निकलता है जिसका हम लोग सकुशल प्रयोग नहीं कर पाते हैं और हमने उसी गोबर में जिप्सम, ग्वारकम, निंबू पाउडर और चिकनी मिट्टी मिलाकर वैदिक प्लास्टर बनाया जाता है जो अग्निरोधक और ऊष्मा रोधी होता है। इससे इको फ्रेंडली मकान बनते है। समय के साथ इस वैदिक प्लास्टर की मांग बढ़ती जा रही है अभी तक हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में 300 से ज्यादा ऐसे घर बनाए जा चुके हैं। इसे आप ईट पत्थरों के बीच और दीवारों पर बाहरी आवरण के तरह से भी प्रयोग कर सकते है।

ऐसे ही मजेदार स्टोरी पढ़ने के लिए ओ न्यूज हिंदी को लाइक और फॉलो करें।

Related Articles

[td_block_social_counter facebook="onewshindi" twitter="ONewshindi" youtube="onewshindi" style="style8 td-social-boxed td-social-font-icons" tdc_css="eyJhbGwiOnsibWFyZ2luLWJvdHRvbSI6IjM4IiwiZGlzcGxheSI6IiJ9LCJwb3J0cmFpdCI6eyJtYXJnaW4tYm90dG9tIjoiMzAiLCJkaXNwbGF5IjoiIn0sInBvcnRyYWl0X21heF93aWR0aCI6MTAxOCwicG9ydHJhaXRfbWluX3dpZHRoIjo3Njh9" custom_title="Stay Connected" block_template_id="td_block_template_8" f_header_font_family="712" f_header_font_transform="uppercase" f_header_font_weight="500" f_header_font_size="17" border_color="#dd3333" manual_count_facebook="51400" manual_count_twitter="1391" manual_count_youtube="23100"]

Latest Articles