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Sunday, September 8, 2024

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इन्होंने हिंदुस्तान में उगाया वो फसल जो,सिर्फ चीन और अमेरिका में ही होता है,PM मोदी ने जम कर की तारीफ..

उत्तर प्रदेश के गौरव को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल में दूसरी बार मन की बात कार्यक्रम के अंदर चार चांद लगा दिए! वह भी चिया सीड का जिक्र करके! दरअसल अमेरिका और चीन में सुपरफूड मानी जाने वाली चिया सीड को रिटायर करना हरिश्चंद्र ने बाराबंकी की धरती पर उगाया है! ऐसे में एक विदेशी फसल को वह भी बिना किसी सरकारी मदद के अपने संसाधनों के जरिए उगाए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटिस कर लिया!

फिर क्या था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम में चिया सीड की खेती का जिक्र कर हरिश्चंद्र की मेहनत को सम्मान दे दिया! प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि यह खेती ना सिर्फ हरिश्चंद्र जी की आय बढ़ेगी बल्कि आत्मनिर्भर भारत में भी अपना योगदान देगी!

इससे पहले प्रधानमंत्री ने गुरलीन चावला की भी तारीफ की

ऐसा ही संभाल 31 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में सोनिया और संस्कार की तपती धरती झांसी में स्ट्रौबरी उगाने वाली लो की छात्रा गुरलीन चावला का भी जिक्र किया था! उस समय प्रधानमंत्री मोदी का कहना था कि लॉ की छात्रा ने पहले अपने घर पर और फिर अपने खेत में स्ट्रॉबेरी की खेती का सफल प्रयोग करके यह विश्वास जगा दिया है कि झांसी में भी यह सब हो सकता है!

जो स्ट्रौबरी कभी पहाड़ों की पहचान थी वह अब कच्छ की रेतीली जमीन पर भी होने लगी है किसानों की आय बढ़ रही है! प्रधानमंत्री मोदी की इस सराहना के बाद गुरलीन चावला आज देश भर के अंदर प्रसिद्ध हुई है सोशल मीडिया पर भी गुरलीन के प्रयास की खूब तारीफ हुई थी!

हरिश्चंद्र का कहना है कि मेहनत को सम्मान मिला है

अब हरिश्चंद्र के प्रयासों को सोशल मीडिया पर काफी जगह मिल रही है। हरिश्चंद्र, जो वर्ष 2015 में सेना से आर्टिलरी कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और वर्तमान में सुल्तानपुर के जिला सैन्य कल्याण अधिकारी हैं, उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। वह कहते हैं कि हमारी खेती की जानकारी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच गई है, इससे बड़ी बात मेरे लिए और क्या हो सकती है। यह प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम में उल्लेख किया जाने वाला सम्मान है। और आज मुझे यह सम्मान मिला है।

हरिश्चंद्र के इस कथन में योग्यता है। उनकी कड़ी मेहनत आज वास्तव में सम्मानित है। उनका कहना है कि वर्ष 2015 में आर्मी से आर्टिलरी कर्नल के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद, मैंने बाराबंकी के हैदरगढ़ तहसील के सिधौर ब्लॉक के अमसेरुवा गांव में तीन एकड़ जमीन खरीदी। हरिश्चंद्र ने इस भूमि पर ड्रैगनफूड, हरा सेब, लाल सेब का बेर, काला गेहूं और आलू की कई अन्य किस्मों की खेती शुरू की। और पिछले साल नवंबर में पहली बार, आधा एकड़ जमीन पर चिया सीडी की खेती की।

आत्मनिर्भर भारत में योगदान

हरिश्चंद्र के अनुसार, चिया बीज की खेती चीन में अधिक होती है। यह मूल रूप से मैक्सिकन फसल है। अमेरिका में, यह भोजन के लिए बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। इससे लड्डू, चावल, हलवा, खीर जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग वीआईपी भोजन में किया जाता है।

ये बीज, जो बहुत छोटे दिखते हैं, सफेद, भूरे और काले रंग के होते हैं और शरीर को ऊर्जा देने के लिए बहुत अच्छे ऊर्जा स्रोत माने जाते हैं। इसमें कई पोषक तत्व होते हैं, जिसके कारण इनकी मांग बहुत अधिक होती है। चिया सीड के इन गुणों और इसकी मांग के आधार पर, प्रधान मंत्री ने कहा कि इस खेती से न केवल हरिश्चंद्र की आय में वृद्धि होगी, बल्कि यह एक आत्मनिर्भर भारत में भी योगदान देगा।

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